आँखों का जाम लिखो जुल्फ कि बरसात लिखो
जिस से नाराज़ हो उस शख्स कि हर बात लिखो
जिससे मिलकर भी न मिलने कि कसक बाक़ी है
उसी अनजान शहंशाह कि मुलाकात लिखो
जिस्म मस्जिद कि तरह आँखे नमाज़ों जैसी
जब गुनाहों मे इबादत थी वो दिन रात लिखो
इस कहानी का तो अंजाम वही है जो था
तुम जो चाहो तो मोहब्बत कि शुरुआत लिखो
जब भी देखो उसे अपनी नज़र से देखो
कोई कुछ भी कहे तुम अपने ख्यालात लिखो
निदा फ़ाज़ली
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