Wednesday, 7 June 2017

हम तो यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले

हम तो यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले
अजनबी जैसे अजनबी से मिले

हर वफ़ा एक जुर्म हो गोया
दोस्त कुछ ऐसी बेरुख़ी से मिले

फूल ही फूल हम ने माँगे थे
दाग़ ही दाग़ ज़िन्दगी से मिले

जिस तरह आप हम से मिलते हैं
आदमी यूँ न आदमी से मिले

सुदर्शन फ़ाकिर

No comments:

Post a Comment