Thursday 29 June 2017

घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है



घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है
बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है

भटकती है हमारे गाँव में गूँगी भिखारन-सी
सुबह से फरवरी बीमार पत्नी से भी पीली है


बग़ावत के कमल खिलते हैं दिल की सूखी दरिया में
मैं जब भी देखता हूँ आँख बच्चों की पनीली है

सुलगते जिस्म की गर्मी का फिर एहसास वो कैसे
मोहब्बत की कहानी अब जली माचिस की तीली है


अदम गोंडवी

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