Wednesday, 7 June 2017

दिल में महक रहें हैं किसी आरज़ू के फूल

दिल में महक रहें हैं किसी आरज़ू के फूल
पलकों में खिलने वाले हैं शायद लहू के फूल

अब तक है कोई बात मुझे याद हर्फ़ हर्फ़*
अब तक मैं चुन रहा हूँ किसी गुफ़्तगू* के फूल

कलियाँ चटक रही थी कि आवाज़ थी कोई
अब तक सम’अतों* में है इक ख़ुश-गुलू* के फूल

मेरे लहू का रंग है हर नोक-ए-ख़ार* पर
सेहरा* में हर तरफ़ है मेरी जुस्तजू* के फूल

दीवाने कल जो लोग थे फूलों के इश्क़ में
अब उन के दामनों में भरे हैं रफ़ू* के फूल

* हर्फ़  =  अक्षर
* गुफ़्तगू  =  बातचीत
* सम’अतों  =  सुनने की शक्ति
*  ख़ुश-गुलू  =   अच्छी आवाज़ वाला
* नोक-ए-ख़ार  =  कांटे की नोक
* सेहरा  =  रेगिस्तान
* जुस्तजू  =  खोज
* रफू  = पैबंद

जावेद अख्तर

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