जीना मुश्किल है के आसान ज़रा देख तो लो
लोग लगते हैं परेशान ज़रा देख तो लो
ये नया शहर तो है खूब बसाया तुमने
क्यूँ पुराना हुआ वीरान ज़रा देख तो लो
तुम ये कहते हो के मैं गैर हूँ फिर भी शायद
निकल आये कोई पहचान ज़रा देख तो लो
ये सताइश* की तमन्ना ये सिले की परवाह
कहाँ लाये हैं ,ये अरमान ज़रा देख तो लो
सताइश = प्रशंसा
जावेद अख्तर
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