Friday 28 October 2022

सब्जी ले लो बहनजी, नाराज हो क्या ?

गली से गुजरते हुए सब्जी वाले ने तीसरी मंजिल की घंटी का बटन दबाया। ऊपर से बालकनी का दरवाजा खोलकर बाहर आई महिला ने नीचे देखा।


"बीबी जी ! सब्जी ले लो । बताओ क्या- क्या तोलना है। कई दिनों से आपने सब्जी नहीं खरीदी मुझसे, कोई और देकर जा रहा है?"

सब्जी वाले ने चिल्लाकर कहा।

"रुको भैया! मैं नीचे आती हूँ।"

उसके बाद महिला घर से नीचे उतर कर आई और सब्जी वाले के पास आकर बोली -

"भैया ! तुम हमारी घंटी मत बजाया करो। हमें सब्जी की जरूरत नहीं है।"

"कैसी बात कर रही हैं बीबी जी ! सब्जी खाना तो सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। किसी और से लेती हो क्या सब्जी ?"

सब्जीवाले ने कहा।

"नहीं भैया! उनके पास अब कोई काम नहीं है। और किसी तरह से हम लोग अपने आप को जिंदा रखे हुए हैं। जब सब ठीक होने लग जाएगा, घर में कुछ पैसे आएंगे, तो तुमसे ही सब्जी लिया करूंगी। मैं किसी और से सब्जी नहीं खरीदती हूँ। तुम घंटी बजाते हो तो उन्हें बहुत बुरा लगता है, उन्हें अपनी मजबूरी पर गुस्सा आने लगता है। इसलिए भैया अब तुम हमारी घंटी मत बजाया करो।"

महिला कहकर अपने घर में वापिस जाने लगी।

"ओ बहन जी ! तनिक रुक जाओ। हम इतने बरस से तुमको सब्जी दे रहे हैं । जब तुम्हारे अच्छे दिन थे, तब तुमने हमसे खूब सब्जी और फल लिए थे। अब अगर थोड़ी-सी परेशानी आ गई है, तो क्या हम तुमको ऐसे ही छोड़ देंगे ? सब्जी वाले हैं, कोई नेता जी तो है नहीं कि वादा करके छोड़ दें। रुके रहो दो मिनिट।"

और सब्जी वाले ने एक थैली के अंदर टमाटर , आलू, प्याज, घीया, कद्दू और करेले डालने के बाद धनिया और मिर्च भी उसमें डाल दिया । महिला हैरान थी। उसने तुरंत कहा –

"भैया ! तुम मुझे उधार सब्जी दे रहे हो, कम से कम तोल तो लेते, और मुझे पैसे भी बता दो। मैं तुम्हारा हिसाब लिख लूंगी। जब सब ठीक हो जाएगा तो तुम्हें तुम्हारे पैसे वापस कर दूंगी।" महिला ने कहा।

"वाह..... ये क्या बात हुई भला ? तोला तो इसलिए नहीं है कि कोई मामा अपने भांजी -भाँजे से पैसे नहीं लेता है। और बहिन ! मैं कोई अहसान भी नहीं कर रहा हूँ । ये सब तो यहीं से कमाया है, इसमें तुम्हारा हिस्सा भी है। गुड़िया के लिए ये आम रख रहा हूँ, और भाँजे के लिए मौसमी । बच्चों का खूब ख्याल रखना। ये बीमारी बहुत बुरी है। और आखिरी बात सुन लो .... घंटी तो मैं जब भी आऊँगा, जरूर बजाऊँगा।"

और सब्जी वाले ने मुस्कुराते हुए दोनों थैलियाँ महिला के हाथ में थमा दीं।

अब महिला की आँखें मजबूरी की जगह स्नेह के आंसुओं से भरी हुईं थीं।

Wednesday 19 October 2022

भारत कैसे गुलाम हुआ, कविता के माध्यम से समझिये

🚩कविता के माध्यम से समझिए, कैसे भारत हुआ गुलाम!


भारत कैसे स्वतंत्र हुआ, ये शिक्षा अभी अधूरी है।
भारत कैसे गुलाम हुआ, ये पढ़ाना ज्यादा जरूरी है।।

पृथ्वीराज ने मोहम्मद गौरी को, परास्त 17 बार किया।
पर मूर्ख जयचंद ने, भारत माँ की छाती पर वार किया।।
एक मूर्ख हिन्दू ने, इस्लामी दुश्मन को सिरमौर किया।
हिंदुत्व पर किया प्रहार, अपने धर्म को कमजोर किया।।
तुम कभी जयचंद ना बनना, तभी तुम्हारी शिक्षा पूरी है।
भारत कैसे गुलाम हुआ, ये पढ़ाना ज्यादा जरूरी है।।

महाराणा प्रताप ने लुटेरे मुगलों से दो-दो हाथ किया।
तब राजद्रोही राजा मानसिंह ने मुगलों का साथ दिया।।
भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु ने जब सांडर्स को मारा था।
फणीन्द्र नाथ घोष की गवाही ने उनको फांसी पर उतारा था।।
तुम देश से गद्दारी ना करना, गद्दारी सबसे बुरी बीमारी है।
भारत कैसे गुलाम हुआ, ये पढ़ाना ज्यादा जरूरी है।।

मुट्ठी भर चालबाज अंग्रजों ने, भारत माँ पर राज किया।
क्योंकि कुछ गद्दार लालचियों ने, अंग्रेजों का साथ दिया।
चंद पैसों की लालच में, भारत माँ को नुचवा दिया।
मरवाया कितने निर्दोषों को, देश को बंटवा दिया।।
लानत है उनपर जिन्होंने की, अंग्रेजों की जी-हजूरी है।
भारत कैसे गुलाम हुआ, ये पढ़ाना ज्यादा जरूरी है।।

तुम सच्चे देशभक्त बनो, तभी हमारा देश महान है।
अपने धर्म पर अडिग रहो, हिंदुत्व हमारी शान है।।
अब फिर ना हो देश गुलाम, बस ऐसे प्रयास करो।
जाति पाति में ना बंटो, एकता में विश्वास करो।।
भारत एक राष्ट्र ना रहा तो, हमारी हर उपलब्धि अधूरी है।
भारत कैसे गुलाम हुआ, ये पढ़ाना ज्यादा जरूरी है।।
भारत कैसे स्वतंत्र हुआ, ये शिक्षा अभी अधूरी है।
भारत कैसे गुलाम हुआ, ये पढ़ाना ज्यादा जरूरी है।।