Friday 26 February 2021

मनुष्य को अंदर से खोखला कर देती हैं ये 3 चीजें, वक्त रहते ही हो जाएं सतर्क

खुशहाल जिंदगी के लिए आचार्य चाणक्य ने कई नीतियां बताई हैं। अगर आप भी अपनी जिंदगी में सुख और शांति चाहते हैं तो चाणक्य के इन सुविचारों को अपने जीवन में जरूर उतारिए।


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आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भले ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार अहंकार, क्रोध और लालच पर आधारित है। 

'अहंकार, क्रोध और लालच इंसान की काबीलियत खा जाती है।' आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि मनुष्य को तीन चीजें खत्म कर सकती हैं। ये तीन चीजें अहंकार, क्रोध और लालच है। ये तीनों चीजें इंसान की काबीयिलत को धीरे-धीरे पूरी तरह से नष्ट कर देती हैं। ये तीनों चीजें जब भी इंसान के ऊपर अपना कब्जा जमाती है तो उसकी सोचने और समझने की क्षमता सबसे पहले खत्म हो जाती है। मनुष्य फिर वही सोचता है और करता है जो ये चीजें उससे करवाती हैं। 

अपने किए गए कार्यों पर अहंकार करना मनुष्य की प्रवृत्ति होती है। ये अहंकार जब भी मनुष्य के समीप आता है तो सबसे पहले उसकी बुद्धि और बातचीत करने के तरीके में बदलाव होता है। वहीं क्रोध की बात की जाए तो क्रोध से मनुष्य जीभ पर कंट्रोल पूरी तरह से खो देता है। वो गुस्से में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर देता है जो जीवनभर के लिए दुखदायी हो जाते हैं। जबकि लालच मनुष्य को कोई भी हद पार करा सकता है। 
यानी कि अगर इन चीनों में से एक चीज भी मनुष्य के अंदर आ गई तो उसकी काबीलियत को खत्म कर देती है। ऐसा मनुष्य ना तो किसी का प्रिय होता है और ना ही परिवार का साथ उसे मिलता है। ऐसा मनुष्य अपने जीवन में सिर्फ और सिर्फ अकेला ही रह जाता है। इसी वजह से आचार्य चाणक्य कहते हैं इन्हें हमेशा अपने आप से सौ कोस की दूरी पर रखना चाहिए।