हाल-ए-ग़म उन को सुनाते जाइए
शर्त ये है मुस्कुराते जाइए
आप को जाते न देखा जाएगा
शम्मअ को पहले बुझाते जाइए
शुक्रिया लुत्फ़-ए-मुसलसल* का मगर
गाहे-गाहे* दिल दुखाते जाइए
दुश्मनों से प्यार होता जाएगा
दोस्तों को आज़माते जाइए
रोशनी महदूद* हो जिनकी ‘ख़ुमार’
उन चराग़ों को बुझाते जाइए
* लुत्फ़-ए-मुसलसल – प्यार
* गाहे-गाहे – कभी-कभी
* महदूद – कम, सीमित
खुमार बाराबंकवी
No comments:
Post a Comment