जब भी तन्हाई से घबराके सिमट जाते हैं
हम तेरी याद के दामन से लिपट जाते हैं
उनपे तूफान को भी अफ़सोस हुआ करता है
वो सफीने* जो किनारों पे उलट जाते हैं
हम तो आए थे राहे साख में फूलों की तरह
तुम अगर हार समझते हो तो हट जाते हैं
* सफीने – नाव
सुदर्शन फ़ाकिर
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