Saturday 29 May 2021

कोरोना को किसने हराया ??

कोरोना को किसने हराया?

मैं एक प्रायवेट कम्पनी मे बाबू हूँ हमेंशा की तरह कम्पनी मे काम कर रहा था। मुझे हल्का बुखार आया शाम तक सर्दी भी हो गई पास ही के मेडिकल स्टोर से दवाइया मंगा कर खाई। 

3-4 दिन थोडा ठीक रहा एक दिन अचानक साँस लेने मे दिक्कत हुई ओक्सिजन लेवल कम होने लगा मेरी पत्नी ने तत्काल रिक्शा कर मुझे अस्पताल लेकर पहुंची। सरकारी अस्पताल में पलंग फुल चल रहे थे, मैं देख रहा था मेरी पत्नी मेरे इलाज के लिये डाक्टर के सामने गिड़गिड़ा रही थी। अपने परिवार को असहाय सा बस देख ही पा रहा था मेरी तकलीफ बढती जा रही थी मेरी पत्नी मुझे हौसला दिला रही थी कह रही थी, कुछ नही होगा हिम्मत रखो, (यह वही औरत थी जिसे मे हमेशा कहता था की तुम बेवकूफ औरत हो तुम्हे क्या पता दुनिया मे क्या चल रहा हे)।

उसने एक प्राइवेट अस्पताल मे लड़ झगड कर मुझे भर्ती करवाया। फिर अपने भाई याने मेरे साले को फोन लगाकर सारी बातें बताई उसकी उम्र होगी 20 साल करीबन जो मेरी नजर मे आवारा और निठल्ला था जिसे मेरे घर आने की परमीशन  नही थी। वह अक्सर मेरी गैर हाजरी  मे ही मेरे घर आता जाता था। फिर, अपने देवर को याने मेरे छोटे भाई को फोन लगा कर उसने बुलाया जो मेरे साले की उम्र का ही था जो बेरोजगार था और मैं उसे कहता था "काम का ना काज का दुश्मन अनाज का" दोनो घबराते  हुए अस्पताल पहुंचे दोनो की आंखो मे आंसू थे दोनो कह रहे थे की आप घबराना मत आपको हम कुछ नही होने देंगे।

डॉक्टर साहब कह रहे थे की हम 3-4 घन्टे ही ओक्सिजन दे पायेंगे फिर आपको ही ओक्सिजन के सिलेंडर की व्यवस्था करनी होगी। मेरी पत्नी बोली डाक्टर साहब ये सब हम कहा से लायेंगे।

तभी मेरे भाई और साला बोले हम लायेंगे सिलेंडर आप इलाज शुरु किजीये दोनो वहा से रवाना हो गये। मुझ पर बेहोशी छाने लगी और जब होश आया तो मेरे पास ओक्सिजन सिलेंडर रखा था। मैंने पत्नी से पूछा ये कहा से आया उसने कहा तुम्हारा भाई और मेरा भाई दोनो लेकर आये है। मेने पूछा कहा से लाये , उसने कहा ये तो वो ही जाने।

अचानक मेरा ध्यान पत्नी की खाली कलाइयो पर गया मैंने कहा तुम्हारे कंगन कहा गये? कितने साल से लड़ रही थी कंगन दिलवाओ कंगन दिलवाओ अभी पिछ्ले महीने शादी की सालगिरह पर दिलवाये थे (बोनस मिला था उस समय)। वह बोली आप चुपचाप सो जाइये कंगन यही हे कही नही गये मुझे उसने दवाइया दी और मैं आराम करने लगा, नींद आ गई।

जैसे ही नींद खुली क्या देखता हू मेरी पत्नी कई किलो वजनी सिलेंडर को उठा कर ले जा रही थी जो थोडा सा भी वजनी सामान उठाना होता था मुझे आवाज देती थी आज कैसे कई किलो वजनी सिलेंडर तीसरी मंजिल से नीचे ले जा रही थी और नीचे से भरा हुआ सिलेंडर ऊपर ला रही थी। मुझे गुस्सा आया मेरे साले और मेरे भाई पर ,ये दोनो कहा मर गये फिर सोचा आयेंगे तब फटकारुंगा।
  
फिर पडौस के बैड पर भी एक सज्जन भर्ती थे उनसे बाते करने लगा मैंने कहा की अच्छा अस्पताल है नीचे सिलेंडर आसानी से मिल रहे हैं, उन्होने कहा क्या खाक अच्छा अस्पताल है, यंहा से 40 किलोमिटर दूर बड़े शहर मे 7-8 घन्टे लाइन मे लगने के बाद बडी  मुश्किल से एक सिलेंडर मिल पा रहा है। आज ही अस्पताल मे ओक्सिजन की कमी से 17 मौते हुई है। मैं सुनकर घबरा गया और सोचने लगा की शायद मेरा साला और भाई भी ऐसे ही सिलेंडर ला रहे होंगे पहली बार दोनो के प्रती सम्मान का भाव जागा था ।

कुछ सोचता इससे पहले पत्नी बड़ा सा खाने का टिफ़िन लेकर आती दिखी पास आकर बोली उठो खाना खा लो। उसने मुझे खाना दिया एक कोल खाते ही मैने कहा ये तो माँ ने बनाया है, उसने कहा हां माँ ने ही बनाया है। माँ कब आई गांव से, उसने कहा कल रात को। अरे वो कैसे आ गई, अकेले तो वो कभी नही आई शहर। पत्नी बोली बस से उतर कर आटो वाले को घर का पता जो एक पर्चे मे लिखा था वह दिखा कर घर पहुंच गई।

मेरी माँ शायद बाबुजी के स्वर्गवास के बाद पहली बार ही अकेले सफर किया होगा। गाव की जमीन मां बेचने नही दे रही थी तो मेरा मेरी माँ से मन मुटाव चल रहा था कहती थी मेरे मरने के बात जैसा लगे  वैसा, करना जीते जी तो नही बेचने दूँगी।

पत्नी बोली मुझे भी अभी मेरी मां ने बताया की आपकी माँ रात को आ गई थी, वो ही घर से खाना लेकर आई है, जो आपकी मां ने बनाया है। मैंने कहा पर तुम्हारी मां को तो पैरों मे तकलीफ है उन्हे चलते नही बनता है। मेरे ससुर के स्वर्गवास के बाद बहुत कम ही घर से निकलती है, पत्नी बोली आप आराम से खाना खाइये मैं खाना खाने लगा।
 
कुछ देर बाद मेरे फटीचर दोस्त का फोन आया बोला हमारे लायक कोई काम हो तो बताना। मैंने मन मे सोचा जो मुझसे उधार ले रखे हे 3000 रुपये वही वापस नही किया, काम क्या बताऊ तुझे। फिर भी मैंने कहा ठीक हे जरुरत होगी तो बता दूगा और मुह बना कर फोन काट दिया ।
 
16 दिंनों तक मेरी पत्नी सिलेंडर ढोती रही मेरा भाई और साला लाईन मे लगकर सिलेंडर लाते रहे, फिर  हालत मे सुधार हुआ फिर 18 वे दिन मेरी अस्पताल से छुट्टी हुई ।

मुझे खुद पर गर्व था की मैंने कोरोना को हरा दिया मैं फूला नही समा रहा था। 

घर पहुंच कर असली कहानी पता चली की, मेरे इलाज मे बहुत सारा रुपया लगा है। शहर के बड़े अस्पताल का बिल कई लाख था, कितना ये तो नही पता पर मेरी पत्नी के सारे जेवर जो उसने मुझ से लड़ लड़ कर बनवाये थे बिक चुके थे।

मेरे साले के गले की चेन बिक चुकी थी जो मेरी  पत्नी ने मुझसे साले की जनोई मे 15 दिन रूठ कर जबरजस्ती दिलवाई थी, मेरा भाई जिस बाइक को अपनी जान से ज्यादा रखता था वो भी घर मे दिखाई नही दे रही थी।

मेरी माँ जिस जमीन को जीतेजी नही बेचना चाहती थी मेरे स्वर्गीय बाबूजी की आखरी निशानी थी वो भी मेरे इलाज मे बिक चुकी थी ।

मेरी पत्नी से लड़ाई होने पर मे गुस्से मे कहता था की जाओ अपनी माँ के घर चली जाओ वो मेरा ससुराल का घर भी गिरवी रखा जा चुका था,  मेरे निठल्ले दोस्त ने जो मुझसे  3000 रुपये लिए थे वो 30,000 वापस करके गया था।
                     
जिन्हे मे किसी काम का नही समझता था वे मेरे जीवन को बचाने के लिये पूरे बिक चुके थे मैं अकेला रोये जा रहा था बाकी सब लोग खुश थे।

क्योकी मुझे लग रहा था सब कुछ चला गया, और उन्हे लग रहा था की मुझे बचा कर उन्होने सब कुछ बचा लिया।

अब मुझे कोई भ्रम नहीं था की मैंने कोरोना को हराया है, क्योकी कोरोना को तो मेरे अपनो ने, मेरे परिवार ने हराया था ।

सब कुछ बिकने के बाद भी मुझे लग रहा था की आज दुनिया मे मुझसे अमीर कोई नही है।          

💐💐💐💐💐💐💐

यह कहानी किसी एक व्यक्ति की नही है अपितु हर उस इंसान की है जिसने कोरोना को नजदीक से देखा है।

तो आइए हम सब मिलकर प्रार्थना करे कि हे ईश्वर बहुत हो गया अब और नही, बस और नही।

🙏🏻🙏🏻🙏🏻साभार 🙏🙏🙏🙏

Saturday 8 May 2021

Silence is the Language of God


Silence is the universal language of GOD , all else is poor translation. Silence has taught me a deeper truth than words ever could. Sit in silence once a week and feel the truth in your heart. It’s there whether u can express it in words or not. Silence is a source of great strength.

What did power of silence teach me?

1. Satisfaction
2. Expression
3. Appreciation
4. Attention
5. Thoughts
6. Nature
7. Body
8. Overstimulation
9. Sound
10. Humanity
11. Space
12. Love
13. Courage
14. Perseverance
15. Faith
16. Honesty
17. Gratitude
18. Simplicity
19. Connection
20. Truth

There is immense power in silence, learn to be silent and not react to the different types of people. You will encounter on your journey towards a greater life. Always maintain your class and composure under all circumstances. Ignore the naysayers and those who try to bring you down to their level. Open your mouth only if what you are going to say is more beautiful than the silence. Successful people always have two things on their lips. Silence and a smile. Don’t waste words on people deserve your silence. Sometimes the most powerful thing you can say is nothing at all. The tree of silence bears the fruit of peace.

Silence calms my soul.

Friday 7 May 2021

आधुनिक सच

***  आधुनिक सच   ***


मियां-बीबी दोनों मिल खूब कमाते हैं
पचास लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं
सुबह आठ बजे नौकरियों पर जाते हैं
रात ग्यारह तक ही वापिस आते हैं

अपने परिवारिक रिश्तों से कतराते हैं
अकेले रह कर वह  कैरियर  बनाते हैं
कोई कुछ मांग न ले वो मुंह छुपाते हैं
भीड़ में रहकर भी अकेले रह जाते हैं

मोटे वेतन की नौकरी छोड़ नहीं पाते हैं
अपने नन्हे मुन्ने को पाल  नहीं पाते हैं
फुल टाइम की मेड ऐजेंसी से लाते  हैं
उसी के जिम्मे वो बच्चा छोड़ जाते हैं

परिवार को उनका बच्चा नहीं जानता है
केवल आया'आंटी को ही पहचानता है
दादा -दादी, नाना-नानी कौन होते  है?
अनजान है सबसे किसी को न मानता है

आया ही नहलाती है आया ही खिलाती है
टिफिन भी रोज़ रोज़ आया ही बनाती है
यूनिफार्म पहना के स्कूल कैब में बिठाती है
छुट्टी के बाद कैब से आया ही घर लाती है

नींद जब आती है तो आया ही सुलाती है
जैसी भी उसको आती है लोरी सुनाती है
उसे सुलाने में अक्सर वो भी सो जाती है
कभी जब मचलता है तो टीवी दिखाती है

जो टीचर मैम बताती है वही वो मानता है
देसी खाना छोड कर पीजा बर्गर खाता  है
वीक ऐन्ड पर मौल में पिकनिक मनाता है
संडे की छुट्टी मौम-डैड के  संग बिताता है

वक्त नहीं रुकता है तेजी से गुजर जाता है
वह स्कूल से निकल के कालेज में आता है
कान्वेन्ट में पढ़ने पर इंडिया कहाँ भाता है
आगे पढाई करने वह विदेश चला जाता है

वहाँ नये दोस्त बनते हैं उनमें रम जाता है
मां-बाप के पैसों से ही खर्चा चलाता है
धीरे-धीरे वहीं की संस्कृति में रंग जाता है
मौम डैड से रिश्ता पैसों का रह जाता है

कुछ दिन में उसे काम वहीं मिल जाता है
जीवन साथी शीघ्र ढूंढ वहीं बस जाता है
माँ बाप ने जो देखा ख्वाब वो टूट जाता है
बेटे के दिमाग में भी कैरियर रह जाता है

बुढ़ापे में माँ-बाप अब अकेले रह जाते हैं
जिनकी अनदेखी की उनसे आँखें चुराते हैं
क्यों इतना कमाया ये सोच के पछताते हैं
घुट घुट कर जीते हैं खुद से भी शरमाते हैं

हाथ पैर ढीले हो जाते, चलने में दुख पाते हैं
दाढ़- दाँत गिर जाते, मोटे चश्मे लग जाते हैं
कमर भी झुक जाती, कान नहीं सुन पाते हैं
वृद्धाश्रम में दाखिल हो, जिंदा ही मर जाते हैं

सोचना की बच्चे अपने लिए पैदा कर रहे हो या विदेश की सेवा के लिए।

बेटा एडिलेड में, बेटी है न्यूयार्क।
ब्राईट बच्चों के लिए, हुआ बुढ़ापा डार्क।

बेटा डालर में बंधा, सात समन्दर पार।
चिता जलाने बाप की, गए पड़ोसी चार।

ऑन लाईन पर हो गए, सारे लाड़ दुलार।
दुनियां छोटी हो गई, रिश्ते हैं बीमार।

बूढ़ा-बूढ़ी आँख में, भरते खारा नीर।
हरिद्वार के घाट की, सिडनी में तकदीर।