Friday, 2 June 2017

अपना ग़म ले के कहीं और ना जाया जाए

अपना ग़म ले के कहीं और ना जाया जाए
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए

जिन चिरागों को हवाओं का कोई खौफ नहीं
उन चिरागों को हवाओं से बचाया जाए

बाग़ में जाने के आदाब* हुआ करते हैं
किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाए

खुदखुशी* करने कि हिम्मत नहीं होती सब में
और कुछ दिन यूँ ही औरों को सताया जाए

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लो
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए

आदाब = शिष्टाचार
खुदखुशी = आत्महत्या

निदा फ़ाज़ली

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