Friday, 2 June 2017

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का ख़िलौना हैं

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का ख़िलौना हैं
मिल जाये तो मिट्टी हैं खो जाये तो सोना है

अच्छा सा कोई मौसम तनहा सा कोई आलम
हर वक़्त आये रोना तो बेकार का रोना हैं

बरसात का बादल तो दिवाना हैं क्या जाने
किस राह से बचना हैं किस छत को भिगौना हैं

ग़म हो कि ख़ुशी दोनो कुछ देर के साथी हैं
फिर रास्ता ही रास्ता हैं हंसना हैं रोना हैं

निदा फ़ाज़ली

No comments:

Post a Comment