Saturday 13 August 2016

मैंने देखी ही नहीं रंगों से रंगी दुनिया

मैंने देखा ही नहीं 
रंगों से रंगी दुनिया को 
मेरी आंखें ही नहीं
ख्वाबों के रंग सजाने को 
         
कौन आएगा, आंखों में समाएगा 
रंगों के रूप को, जब दिखाएगा 
रंगों पे इठलाने वालों 
डगर मुझे दिखाओ जरा 
चल सकूं मैं भी अपने पग से
रोशनी मुझे दिलाओ जरा 
ये हकीकत है कि, क्यों दुनिया है खफा मुझसे 
मैंने देखी ही नहीं...

याद आएगा, दिलों में समाएगा 
मन के मीत को पास पाएगा
आंखों से देखने वालों 
नयन मुझे दिलाओ जरा 
देख सकूं मैं भी भेदकर 
इन्द्रधनुष के तीर दिलाओं जरा 
ये हकीकत है कि, क्यों दुनिया है खफा मुझसे 
मैंने देखी ही नहीं ...
            
जान जाएगा, वो दिन आएगा 
आंखों से बोल के कोई समझाएगा 
रंगों को खेलने वालों 
रोशनी मुझे दिलाओ जरा 
देख संकू मैं भी खुशियों को
आखों मे रोशनी दे जाओ जरा
ये हकीकत है कि क्यों दुनिया है खफा मुझसे 
मैंने देखी ही नहीं...  

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