बाबुल से आती चिट्ठी पढ़कर
खुश होती, रोती भी
बाबुल की यादों को बांटती
सुनाती सखी-सहेलियों में ।
चिट्ठियों को संभाल कर रखती जाती
बाबुल की जब आती याद
तो पढ़ कर
संतोष कर लेती ।
डाकिया और चिट्ठी का होता था
हर पल इंतजार
वो भी एक जमाना था ।
अब ये भी एक जमाना है
जिनकी बेटियां है
बस उनके ही
बाबुल से आता है
मोबाईल पर
संदेश ।
बाबुल भी क्या करे ?
बेटियां भ्रूण हत्याओं से हो गई
दुनिया में कम
इसलिए
हो गए है अब गुमसुम ।
भ्रूण हत्याओं को
रोकना होगा ताकि बेटियां
बाबुल की
यादों को पा सके
और पा सके
हर बाबुल अपनी बिटिया का प्यार ।
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