Tuesday, 14 January 2020
अनोखी साइकिल रेस
Sunday, 13 May 2018
जब रूठ गई लक्ष्मी जी, सुनार ने क्या किया?
एक सुनार से लक्ष्मी जी रूठ गई ।
जाते वक्त बोली मैं जा रही हूँ
और मेरी जगह नुकसान आ रहा है ।
तैयार हो जाओ।
लेकिन मै तुम्हे अंतिम भेट जरूर देना चाहती हूँ।
मांगो जो भी इच्छा हो।
सुनार बहुत समझदार था।
उसने विनती करी नुकसान आए तो आने दो ।
लेकिन उससे कहना की मेरे परिवार में आपसी प्रेम बना रहे। बस मेरी यही इच्छा है।
लक्ष्मी जी ने तथास्तु कहा।
कुछ दिन के बाद :-
सुनार की सबसे छोटी बहु खिचड़ी बना रही थी।
उसने नमक आदि डाला और अन्य काम करने लगी।
तब दूसरे लड़के की बहू आई और उसने भी बिना चखे नमक डाला और चली गई।
इसी प्रकार तीसरी, चौथी बहुएं आई और नमक डालकर चली गई ।
उनकी सास ने भी ऐसा किया।
शाम को सबसे पहले सुनार आया।
पहला निवाला मुह में लिया।
देखा बहुत ज्यादा नमक है।
लेकिन वह समझ गया नुकसान (हानि) आ चुका है।
चुपचाप खिचड़ी खाई और चला गया।
इसके बाद बड़े बेटे का नम्बर आया।
पहला निवाला मुह में लिया।
पूछा पिता जी ने खाना खा लिया क्या कहा उन्होंने ?
सभी ने उत्तर दिया-" हाँ खा लिया, कुछ नही बोले।"
अब लड़के ने सोचा जब पिता जी ही कुछ नही बोले तो मै भी चुपचाप खा लेता हूँ।
इस प्रकार घर के अन्य सदस्य एक -एक आए।
पहले वालो के बारे में पूछते और चुपचाप खाना खा कर चले गए।
रात को नुकसान (हानि) हाथ जोड़कर
सुनार से कहने लगा -,"मै जा रहा हूँ।"
सुनार ने पूछा- क्यों ?
तब नुकसान (हानि) कहता है, " आप लोग एक किलो तो नमक खा गए ।
लेकिन बिलकुल भी झगड़ा नही हुआ। मेरा यहाँ कोई काम नहीं।"
इस कहानी से हमे क्या शिक्षा मिलती है?
⭐ झगड़ा कमजोरी, हानि, नुकसान की पहचान है।
👏 जहाँ प्रेम है, वहाँ लक्ष्मी का वास है।
सदा प्यार -प्रेम बांटते रहे। छोटे -बङे की कदर करे ।
जो बङे हैं, वो बड़े ही रहेंगे ।
चाहे आपकी कमाई उसकी कमाई से बड़ी हो। 🙏🙏
अच्छा लगे तो आप जरुर किसी अपने को भेजें।
Saturday, 12 May 2018
जब मैं उसके शहर से गुजरा
वक़्त ने फिर एक करवट ली
मुझे उसके शहर से गुज़रने का मौका दिया
उसका शहर उस शहर में
उसकी मौजूदगी का एहसास
उस फ़िज़ा में उसके आस पास
होने का एक डगमगाता सा विश्वास
तरसती आँखें उसके दीदार को बेक़रार थीं
एक बार बस एक बार उसे देखने को बेहाल थीं
लौट आई मेरी नज़रें टकरा कर हर दीवार से
हो ना सका मैं रुबरु दीदार ए यार से
लौट गई थी जिस तरह वो मेरे शहर से
ना चाहते हुए भी लौट आया मैं
उसी तरह उसके शहर से
अब ना किसी से कोई गिला
कोई शिकवा कोई तकरार है
दो दिलों के बीच मजबूरियों की एक दीवार है
समाज के कमज़ोर बंधन
हर रिश्ते को खोखला बनाते हैं
हम जैसे मजबूर इंसान इन बंधनों को
तक़दीर का नाम दे जाते हैं
Saturday, 21 April 2018
मन - A Short Inspirational Lecture in Hindi by Kranti Gaurav
सुख दुःख क्या है- सुख और दुःख दोनों ही एक दूसरे के पर्याय हैं मतलब एक ही हैं, जो सुख है वही दुःख है बस हमारी सोच दोनों में फर्क करती है। जैसे कि आप ने आम खाया आपको उसका स्वाद मीठा लगा ये सुख है फिर आपने नीम खाया नीम आपको कड़वा लगा, असल में नीम का कड़वापन दुःख नहीं है बल्कि आप हर चीज़ में आम जैसा स्वाद ढूंढ रहे हैं ये दुःख है। सुख दुःख तो पहिये की तरह है एक आएगा तो दूसरा जायेगा लेकिन आपको सुख का चस्का लग गया है यही तो दुःख है। सोचिये कोई ऐसी चीज़ है जो आपको आनंद देती है, सुख देती है जब वो चीज़ आपसे दूर चली जाये तो दुःख होता है। असल में दुःख का कारण है हमारी “चाह”, जब हम कुछ चाहते हैं और वो ना हो तो हम दुखी होते हैं। दुःख हमें कष्ट नहीं देता हमारी ये “चाह” हमको दुःख देती है। नहीं तो दुनिया में दुःख और सुख जैसी कुछ चीज़ है ही नहीं, ये तो सब समय है, अभी समय कुछ और है थोड़ी देर बाद कुछ और होगा। अगर हमें सच में पता चल जाये कि हर चीज़ temporary है, नश्वर है तो हम दुखी होंगे ही नहीं। ना तो दुःख हमेशा रहने वाला है और ना सुख यही सत्य है।
मन ही सबकुछ है- सोचिये आप सो रहे हैं और आपके हाथ पर से एक छिपकली होकर गुजरती है तो क्या होगा? कुछ नहीं, आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्यूंकि आपको पता ही नहीं। अब सोचिये आपके सामने कोई छिपकली आपके हाथ से होकर गुजरे तो आपका क्या रिएक्शन होगा? आप तुरंत परेशान हो जायेंगे और गन्दा फील करेंगे लेकिन सोचिये छिपकली ने आपको परेशान नहीं किया आपको आपके मन ने परेशान किया।
मेरे एक मित्र हैं वो पंडित हैं, बस में सफर कर रहे थे। बस में भीड़ थी सारे लोग एक दूसरे से सटे हुए खड़े थे यहाँ तक तो पंडित जी आराम से थे उनके बगल में एक लड़का खड़ा था। अचानक पीछे से किसी ने लड़के को आवाज लगायी, उस लड़के के नाम से लगा कि वो नीची जाति का था। अब तो तुरंत पंडित जी का धर्म भ्रष्ट हो गया लेकिन कब से उसी लड़के के साथ खड़े थे तब कुछ नहीं हुआ। जो किया सब मन ने किया नहीं तो इंसान तो इंसान है।
सोचिये आपके सामने आपका कोई फेवरेट एक्टर या एक्ट्रेस आ जाये तो आपको कैसा लगेगा, आप बहुत excited हो जायेंगे एक दम खुश हो जायेंगे वहीँ आपके सामने कोई ऐसा आदमी आ जाये जिससे आपकी लड़ाई हो तो आपको अच्छा महसूस नहीं होगा। जबकि वो एक्टर भी एक इंसान ही है और वो आदमी भी। बस फर्क है तो मन का।
मित्रों सोचिये जब आप कोई कॉमेडी सीरियल देख रहे हों या कोई जोक पढ़ रहे हों तो आपको मजा आता है वहीँ जब आपको कोई डांटता है तो आपको गुस्सा आता है। गौर से सोचिये आपका तो आपके मन पे कोई कंट्रोल ही नहीं है। हमारा कंट्रोल तो दूसरों के हाथ में हैं, कोई डाँटकर हमें दुखी कर सकता है कोई जोक सुनाकर हँसा सकता है, हमारा मन हमारे कहने में है ही नहीं बल्कि दूसरों के कहने में चल रहा है। इसीलिए हम परेशान रहते हैं, अगर आप अपने मन पर काबू पा लें तो सारा खेल खत्म, सब क्लियर हो जायेगा। सब सुख ही सुख रह जायेगा।
कैसे कंट्रोल करें अपने मन को (Meditation) - Meditation ही वो प्रक्रिया है जिसका use करके आप अपने मन को कंट्रोल कर सकते हैं; खुद को अपने वश में रख सकते हैं। मेरे अनुसार Meditation का मतलब ये नहीं कि आप अपनी आँख बंद करके कुछ देखने की कोशिश करें। नहीं, Meditation का सीधा सा मतलब है – “ध्यान”। आप जो भी काम कर रहे हैं, चाहे खा रहे हैं, घूम रहे हैं, पढ़ रहे हैं, काम कर रहे हैं xyz कुछ भी, अपने काम को पूरे ध्यान से करना ही Meditation है। अपने मन को किसी एक काम में लगाइये और फिर पूरा ध्यान वहीँ रखिये यही तो Meditation है। अपने मन की गतिविधियों को देखिये सब कुछ कैसे काम करता है, आप खुद कैसे काम करते हैं। हमारे हाथ पे कुछ गर्म चीज़ लगी तो हमारे मन को पता चला फिर मन ने एक feeling दी और उस feeling की वजह से हमारे शरीर ने तुरंत हाथ गर्म चीज़ से हटा लिया। गौर करिये खुद पर, हम जो भी काम करते हैं कुछ भी, वो सब एक विचार से होता है। मन उस विचार को बनाता है फिर विचार से feeling आती है और उस feeling के अनुसार ही हमारा शरीर काम करने लगता है। Meditation एक लम्बी प्रक्रिया है जिसको समझने और करने में बहुत समय लगता है। आप इस आर्टिकल को शांत मन से पढ़िए कुछ बोरिंग जरूर लगेगा लेकिन मुझे पूरी उम्मीद है कि कहीं ना कहीं directly या indirectly इससे हमें बहुत मदद मिलेगी।
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