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Tuesday, 28 April 2020
कभी सोचा नहीं था, ऐसे भी दिन आएँगें
कभी सोचा नहीं था ऐसे भी दिन आएँगें
छुट्टियाँ तो होंगी पर मना नहीं पाएँगे
आइसक्रीम का मौसम होगा पर खा नहीं पाएँगे
रास्ते खुले होंगे पर कहीं जा नहीं पाएँगे
जो दूर रह गए उन्हें बुला नहीं पाएँगे
और जो पास हैं उनसे हाथ भी मिला नहीं पाएँगे
जो घर लौटने की राह देखते थे वो घर में ही बंद हो जाएँगे
और जिनके साथ वक़्त बिताने को तरसते थे उनसे भी ऊब जाएँगें
क्या है तारीख़ कौन सा वार ये भी भूल जाएँगे
कैलेंडर हो जाएँगें बेमानी बस यूँ ही दिन-रात बिताएँगे
साफ़ हो जाएगी हवा पर चैन की साँस न ले पाएँगे
नहीं दिखेगी कोई मुस्कराहट, चेहरे मास्क से ढक जाएँगें
जो ख़ुद को समझते थे बादशाह (usa) वो मदद को हाथ फैलाएँगे
और जिन्हें कहते थे पिछड़ा (भारत)वो ही दुनिया को राह दिखलाएँगे
सुना था कलयुग में जब पाप के घड़े भर जाएँगे
ख़ुद पर इतराने वाले मिट्टी में मिल जाएँगे
अब भी न समझे नादान तो बड़ा पछताएँगे
जब खो देंगे धरती तो क्या चाँद पर डेरा जमाएँगे ???
Friday, 3 April 2020
चमकीले नीले पत्थर की कीमत
एक शहर में बहुत ही ज्ञानी प्रतापी साधु महाराज आये हुए थे, बहुत से दीन दुखी, परेशान लोग उनके पास उनकी कृपा दृष्टि पाने हेतु आने लगे. ऐसा ही एक दीन दुखी, गरीब आदमी उनके पास आया और साधु महाराज से बोला ‘महाराज में बहुत ही गरीब हूँ, मेरे ऊपर कर्जा भी है, मैं बहुत ही परेशान हूँ। मुझ पर कुछ उपकार करें’.
साधु महाराज ने उसको एक चमकीला नीले रंग का पत्थर दिया, और कहा ‘कि यह कीमती पत्थर है, जाओ जितनी कीमत लगवा सको लगवा लो। वो आदमी वहां से चला गया और उसे बचने के इरादे से अपने जान पहचान वाले एक फल विक्रेता के पास गया और उस पत्थर को दिखाकर उसकी कीमत जाननी चाही।
फल विक्रेता बोला ‘मुझे लगता है ये नीला शीशा है, महात्मा ने तुम्हें ऐसे ही दे दिया है, हाँ यह सुन्दर और चमकदार दिखता है, तुम मुझे दे दो, इसके मैं तुम्हें 1000 रुपए दे दूंगा।
वो आदमी निराश होकर अपने एक अन्य जान पहचान वाले के पास गया जो की एक बर्तनों का व्यापारी था. उनसे उस व्यापारी को भी वो पत्थर दिखाया और उसे बचने के लिए उसकी कीमत जाननी चाही। बर्तनो का व्यापारी बोला ‘यह पत्थर कोई विशेष रत्न है में इसके तुम्हें 10,000 रुपए दे दूंगा. वह आदमी सोचने लगा की इसके कीमत और भी अधिक होगी और यह सोच वो वहां से चला आया.
उस आदमी ने इस पत्थर को अब एक सुनार को दिखाया, सुनार ने उस पत्थर को ध्यान से देखा और बोला ये काफी कीमती है इसके मैं तुम्हें 1,00,000 रूपये दे दूंगा।
वो आदमी अब समझ गया था कि यह बहुत अमुल्य है, उसने सोचा क्यों न मैं इसे हीरे के व्यापारी को दिखाऊं, यह सोच वो शहर के सबसे बड़े हीरे के व्यापारी के पास गया।उस हीरे के व्यापारी ने जब वो पत्थर देखा तो देखता रह गया, चौकने वाले भाव उसके चेहरे पर दिखने लगे. उसने उस पत्थर को माथे से लगाया और और पुछा तुम यह कहा से लाये हो. यह तो अमुल्य है. यदि मैं अपनी पूरी सम्पति बेच दूँ तो भी इसकी कीमत नहीं चुका सकता.
कहानी से सीख |
हम अपने आप को कैसे आँकते हैं. क्या हम वो हैं जो राय दूसरे हमारे बारे में बनाते हैं. आपकी लाइफ अमूल्य है आपके जीवन का कोई मोल नहीं लगा सकता. आप वो कर सकते हैं जो आप अपने बारे में सोचते हैं. कभी भी दूसरों के नेगेटिव कमैंट्स से अपने आप को कम मत आकियें.
Saturday, 12 May 2018
जब मैं उसके शहर से गुजरा
वक़्त ने फिर एक करवट ली
मुझे उसके शहर से गुज़रने का मौका दिया
उसका शहर उस शहर में
उसकी मौजूदगी का एहसास
उस फ़िज़ा में उसके आस पास
होने का एक डगमगाता सा विश्वास
तरसती आँखें उसके दीदार को बेक़रार थीं
एक बार बस एक बार उसे देखने को बेहाल थीं
लौट आई मेरी नज़रें टकरा कर हर दीवार से
हो ना सका मैं रुबरु दीदार ए यार से
लौट गई थी जिस तरह वो मेरे शहर से
ना चाहते हुए भी लौट आया मैं
उसी तरह उसके शहर से
अब ना किसी से कोई गिला
कोई शिकवा कोई तकरार है
दो दिलों के बीच मजबूरियों की एक दीवार है
समाज के कमज़ोर बंधन
हर रिश्ते को खोखला बनाते हैं
हम जैसे मजबूर इंसान इन बंधनों को
तक़दीर का नाम दे जाते हैं
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