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Monday, 23 April 2018

शब्दों का भ्रम


बहुत समय पहले की बात है किसी शहर में एक राजा हुआ करता था। वो राजा बड़ा ही बुद्धिमान था। एक बार उसके राज्य में एक कवि आया, उस कवि की आवाज बड़ी सुरीली थी। उसने राजा से प्रार्थना की कि एक बार मेरी कविता जरूर सुनें।
राजा ने कवि का सम्मान करते हुए आदेश दे दिया कि वह अपनी कविता सुनाये। अब उस कवि ने एक से एक बढ़िया कवितायेँ सुनायीं और साथ ही अपनी कविताओं में राजा की खूब प्रशंसा की।
अपनी इतनी ज्यादा प्रशंसा सुनकर राजा बड़ा खुश हुआ। उसने घोषणा करवा दी कि इस कवि ने हमारा दिल खुश किया है इसलिए इसे कल सुबह बुलाकर एक हजार स्वर्ण मुद्राएं दे दी जाएँ।
अब तो वह कवि बड़ा खुश हुआ। ख़ुशी के मारे वह फूला ना समा रहा था। एक हजार स्वर्ण मुद्राएं तो उसने सपने में भी नहीं देखीं थीं। रात भर उसे नींद ही नहीं आयी, सोचता रहा कि स्वर्ण मुद्रा मिलने से तो उसका जीवन ही बदल जायेगा।
अगले दिन सुबह उठा तो कुछ खाया ना पीया बस सीधा राजमहल में पहुँच गया। अभी तो राजमहल में सभी लोग आये भी नहीं थे। राजा ने देखा तो बड़ा आश्चर्यचकित हुआ और उससे पूछा कि आप इतनी सुबह सुबह यहाँ क्या कर रहे हैं?
कवि ने बड़ा सकुचाते हुए कहा कि महाराज आपने ही तो कल कहा था कि सुबह आकर एक हजार स्वर्ण मुद्राएं ले जाना।
राजा बड़ी जोर से हँसा और बोला – देखो कल तुमने मेरी तारीफ में कुछ शब्द कहे, मैं बड़ा खुश हुआ, फिर मैंने तुमसे एक हजार स्वर्ण मुद्रा के लिए शब्द कहे तो तुम बड़े खुश हुए। तुमने मुझे शब्दों से खुश किया तो मैंने भी तुमको शब्दों से खुश कर दिया। अब इसमें रुपये पैसे की बात कहाँ आयी। बेचारा कवि अपना सा मुँह लेकर वापस चला गया।

Moral –

ये कहानी थोड़ी हास्यजनक है। लेकिन इस कहानी ने मुझे बड़ा प्रभावित किया। सच ही तो है - हम सब शब्दों के जाल में फंसे हुए हैं।
किसी मित्र ने कहा कि आज बड़े स्मार्ट लग रहे हो, तो हम खुश हो जाते हैं, जबकि हमको पता है कि हम कैसे हैं।
किसी ने कहा कि तुम जीवन में कुछ नहीं कर सकते, तो हम दुखी हो गए, हमने खुद के बारे में सोचा ही नहीं शब्दों के भ्रम में फंस गए।
हम जानते हैं कि हमारा चरित्र कैसा है, हम सब जानते हैं लेकिन किसी ने हमारी तारीफ की तो हम खुश हो गए।
राजा बुद्धिमान था वह शब्दों के जाल में नहीं फंसा, लेकिन हम फंस जाते हैं और जीवन भर फंसे रहते हैं। दूसरों के हाथ की कठपुतली बन गए हैं। कोई मन चाहे तो हमें दुखी कर देता है, मन चाहे तो खुश कर देता है। अरे खुद को पहचानो, शब्दों के जाल से निकलो, भ्रम से निकलो तभी सुखी जीवन का आनंद ले सकोगे।

Saturday, 21 April 2018

ईमानदारी ही सबसे बड़ा धन है


मुरारी लाल अपने गाँव के सबसे बड़े चोरों में से एक था। मुरारी रोजाना जेब में चाकू डालकर रात को लोगों के घर में चोरी करने जाता। पेशे से चोर था लेकिन हर इंसान चाहता है कि उसका बेटा अच्छे स्कूल में पढाई करे तो यही सोचकर बेटे का एडमिशन एक अच्छे पब्लिक स्कूल में करा दिया था।
मुरारी का बेटा पढाई में बहुत होशियार था लेकिन पैसे के अभाव में 12 वीं कक्षा के बाद नहीं पढ़ पाया। अब कई जगह नौकरी के लिए भी अप्लाई किया लेकिन कोई उसे नौकरी पर नहीं रखता था।
एक तो चोर का बेटा ऊपर से केवल 12 वीं पास तो कोई नौकरी पर नहीं रखता था। अब बेचारा बेरोजगार की तरह ही दिन रात घर पर ही पड़ा रहता। मुरारी को बेटे की चिंता हुई तो सोचा कि क्यों ना इसे भी अपना काम ही सिखाया जाये। जैसे मैंने चोरी कर करके अपना गुजारा किया वैसे ये भी कर लेगा।
यही सोचकर मुरारी एक दिन बेटे को अपने साथ लेकर गया। रात का समय था दोनों चुपके चुपके एक इमारत में पहुंचे। इमारत में कई कमरे थे सभी कमरों में रौशनी थी देखकर लग रहा था कि किसी अमीर इंसान की हवेली है।
मुरारी अपने बेटे से बोला – आज हम इस हवेली में चोरी करेंगे, मैंने यहाँ पहले भी कई बार चोरी की है और खूब माल भी मिलता है यहाँ। लेकिन बेटा लगातार हवेली के आगे लगी लाइट को ही देखे जा रहा था।
मुरारी बोला – अब देर ना करो जल्दी अंदर चलो नहीं तो कोई देख लेगा। लेकिन बेटा अभी भी हवेली की रौशनी को निहार रहा था और वो करुण स्वर में बोला – पिताजी मैं चोरी नहीं कर सकता।
मुरारी – तेरा दिमाग खराब है जल्दी अंदर चल
बेटा – पिताजी, जिसके यहाँ से हमने कई बार चोरी की है देखिये आज भी उसकी हवेली में रौशनी है और हमारे घर में आज भी अंधकार है। मेहनत और ईमानदारी की कमाई से उनका घर आज भी रौशन है और हमारे घर में पहले भी अंधकार था और आज भी
मैं भी ईमानदारी और मेहनत से कमाई करूँगा और उस कमाई के दीपक से मेरे घर में भी रौशनी होगी। मुझे ये जीवन में अंधकार भर देने वाला काम नहीं करना। मुरारी की आँखों से आंसू निकल रहे थे। उसके बेटे की पढाई आज सार्थक होती दिख रही थी।
बेईमानी की कमाई से बने पकवान भी ईमानदारी की सुखी रोटी के आगे फीके हैं। कुछ ऐसा काम करें कि आप समाज में सर उठा के चल सकें। 

मन - A Short Inspirational Lecture in Hindi by Kranti Gaurav




सुख दुःख क्या है- सुख और दुःख दोनों ही एक दूसरे के पर्याय हैं मतलब एक ही हैं, जो सुख है वही दुःख है बस हमारी सोच दोनों में फर्क करती है। जैसे कि आप ने आम खाया आपको उसका स्वाद मीठा लगा ये सुख है फिर आपने नीम खाया नीम आपको कड़वा लगा, असल में नीम का कड़वापन दुःख नहीं है बल्कि आप हर चीज़ में आम जैसा स्वाद ढूंढ रहे हैं ये दुःख है। सुख दुःख तो पहिये की तरह है एक आएगा तो दूसरा जायेगा लेकिन आपको सुख का चस्का लग गया है यही तो दुःख है। सोचिये कोई ऐसी चीज़ है जो आपको आनंद देती है, सुख देती है जब वो चीज़ आपसे दूर चली जाये तो दुःख होता है। असल में दुःख का कारण है हमारी “चाह”, जब हम कुछ चाहते हैं और वो ना हो तो हम दुखी होते हैं। दुःख हमें कष्ट नहीं देता हमारी ये “चाह” हमको दुःख देती है। नहीं तो दुनिया में दुःख और सुख जैसी कुछ चीज़ है ही नहीं, ये तो सब समय है, अभी समय कुछ और है थोड़ी देर बाद कुछ और होगा। अगर हमें सच में पता चल जाये कि हर चीज़ temporary है, नश्वर है तो हम दुखी होंगे ही नहीं। ना तो दुःख हमेशा रहने वाला है और ना सुख यही सत्य है।

मन ही सबकुछ है- सोचिये आप सो रहे हैं और आपके हाथ पर से एक छिपकली होकर गुजरती है तो क्या होगा? कुछ नहीं, आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्यूंकि आपको पता ही नहीं। अब सोचिये आपके सामने कोई छिपकली आपके हाथ से होकर गुजरे तो आपका क्या रिएक्शन होगा? आप तुरंत परेशान हो जायेंगे और गन्दा फील करेंगे लेकिन सोचिये छिपकली ने आपको परेशान नहीं किया आपको आपके मन ने परेशान किया।

मेरे एक मित्र हैं वो पंडित हैं, बस में सफर कर रहे थे। बस में भीड़ थी सारे लोग एक दूसरे से सटे हुए खड़े थे यहाँ तक तो पंडित जी आराम से थे उनके बगल में एक लड़का खड़ा था। अचानक पीछे से किसी ने लड़के को आवाज लगायी, उस लड़के के नाम से लगा कि वो नीची जाति का था। अब तो तुरंत पंडित जी का धर्म भ्रष्ट हो गया लेकिन कब से उसी लड़के के साथ खड़े थे तब कुछ नहीं हुआ। जो किया सब मन ने किया नहीं तो इंसान तो इंसान है।

सोचिये आपके सामने आपका कोई फेवरेट एक्टर या एक्ट्रेस आ जाये तो आपको कैसा लगेगा, आप बहुत excited हो जायेंगे एक दम खुश हो जायेंगे वहीँ आपके सामने कोई ऐसा आदमी आ जाये जिससे आपकी लड़ाई हो तो आपको अच्छा महसूस नहीं होगा। जबकि वो एक्टर भी एक इंसान ही है और वो आदमी भी। बस फर्क है तो मन का।

मित्रों सोचिये जब आप कोई कॉमेडी सीरियल देख रहे हों या कोई जोक पढ़ रहे हों तो आपको मजा आता है वहीँ जब आपको कोई डांटता है तो आपको गुस्सा आता है। गौर से सोचिये आपका तो आपके मन पे कोई कंट्रोल ही नहीं है। हमारा कंट्रोल तो दूसरों के हाथ में हैं, कोई डाँटकर हमें दुखी कर सकता है कोई जोक सुनाकर हँसा सकता है, हमारा मन हमारे कहने में है ही नहीं बल्कि दूसरों के कहने में चल रहा है। इसीलिए हम परेशान रहते हैं, अगर आप अपने मन पर काबू पा लें तो सारा खेल खत्म, सब क्लियर हो जायेगा। सब सुख ही सुख रह जायेगा।

कैसे कंट्रोल करें अपने मन को (Meditation) - Meditation ही वो प्रक्रिया है जिसका use करके आप अपने मन को कंट्रोल कर सकते हैं; खुद को अपने वश में रख सकते हैं। मेरे अनुसार Meditation का मतलब ये नहीं कि आप अपनी आँख बंद करके कुछ देखने की कोशिश करें। नहीं, Meditation का सीधा सा मतलब है – “ध्यान”। आप जो भी काम कर रहे हैं, चाहे खा रहे हैं, घूम रहे हैं, पढ़ रहे हैं, काम कर रहे हैं xyz कुछ भी, अपने काम को पूरे ध्यान से करना ही Meditation है। अपने मन को किसी एक काम में लगाइये और फिर पूरा ध्यान वहीँ रखिये यही तो Meditation है। अपने मन की गतिविधियों को देखिये सब कुछ कैसे काम करता है, आप खुद कैसे काम करते हैं। हमारे हाथ पे कुछ गर्म चीज़ लगी तो हमारे मन को पता चला फिर मन ने एक feeling दी और उस feeling की वजह से हमारे शरीर ने तुरंत हाथ गर्म चीज़ से हटा लिया। गौर करिये खुद पर, हम जो भी काम करते हैं कुछ भी, वो सब एक विचार से होता है। मन उस विचार को बनाता है फिर विचार से feeling आती है और उस feeling के अनुसार ही हमारा शरीर काम करने लगता है। Meditation एक लम्बी प्रक्रिया है जिसको समझने और करने में बहुत समय लगता है। आप इस आर्टिकल को शांत मन से पढ़िए कुछ बोरिंग जरूर लगेगा लेकिन मुझे पूरी उम्मीद है कि कहीं ना कहीं directly या indirectly इससे हमें बहुत मदद मिलेगी।


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आपके दोस्त नहीं चाहते कि आप सफल हों



कई बार बड़े बुजुर्गों के मुँह से कुछ ऐसी बातें सुनने को मिलती हैं – “मुसीबत में कोई साथ नहीं देता”, “जब परेशानियाँ आती हैं तो अपने भी पराये हो जाते हैं”। ऐसी कुछ बातें हम अक्सर अपने दादा दादी या माता पिता या अन्य बड़े लोगों से सुनते आते हैं। ये बातें 100% सत्य हैं और आपने खुद अपने जीवन में ऐसे कुछ अनुभव देखे होंगे।
अगर मैं कहूँ कि आपके दोस्त आपको कभी सफल होता नहीं देखना चाहते – तो आपको कैसा लगेगा? हो सकता है कुछ लोगों को ये बात बुरी भी लगे लेकिन ये सच है। आपके वो दोस्त जिनसे आपकी बहुत गहरी दोस्ती है वो कभी नहीं चाहेंगे कि आप सफल हों।
आपने वो “3 इडियट” मूवी देखी होगी उसमें एक डायलॉग है – “दोस्त जब फेल होता है तो दुःख होता है लेकिन जब दोस्त टॉप करता है तो और ज्यादा दुःख होता है”। कभी आजमा के देखिये ये डायलॉग आप पर भी फिट बैठेगा।
सच कहूं तो इसमें आपके दोस्तों की भी गलती नहीं है, ये एक इंसानी प्रवर्ति ही है। जब तक हम अपने दोस्तों के जैसे ही हैं, तब तक सब कुछ ठीक रहता है। मतलब अगर आपके दोस्त आपके बराबर ही पैसे कमा रहे हैं, या क्लास में आपके नंबर दोस्त के कम या दोस्तों जैसे ही आते हैं या आपका रहन सहन दोस्तों के जैसा ही है, तब तक सबकुछ बढ़िया चल रहा होता है लेकिन जैसे ही आप बंदिशों को तोड़कर आगे बढ़ते हैं, आपके दोस्त आपको ईर्ष्या की नजर से देखने लगते हैं।
क्यूंकि आपके दोस्त असफल हैं इसलिए वो आपको भी सफल होता नहीं देखना चाहते। अगर आप कामयाब हो जाते हैं तो आपके दोस्त खुद को छोटा मानने लगते हैं। आपकी सफलता उनके चेहरे पे एक थप्पड़ की तरह होती है। उनको लगता है जैसे उनके अंदर कमियां हैं और अपनी कमियां वो सुधारना नहीं चाहते बस इसलिए वो आपको भी सफल होते देखना नहीं चाहते।
कभी आजमा के देखना, जब आप किसी बड़े मुकाम के लिए कोई काम कर रहे हों और उस वक्त किसी दोस्त की मदद की जरूरत पड़े और आपके गहरे मित्र भी अापकी मदद ना करें तो समझ जाना वो दोस्त नहीं चाहते कि आप कामयाब हों।
मैं फिर कहना चाहता हूँ कि इसमें आपके दोस्तों की गलती नहीं है| सभी लोग ऐसे ही होते हैं – अाप भी और मैं भी| जब कोई इंसान हमसे अागे निकलता है तो दुख होता ही है|
अंग्रेजी की एक बहुत सुंदर कहावत है – “it’s lonely at the top”- मतलब शिखर पर इंसान हमेशा अकेला होता है
याद रखना जब आप भी अपनी कामयाबी के शिखर पर होगे तो अकेले होगे लेकिन डगमगाना नहीं है। आपको मुसीबतों से घबराना नहीं है, खड़े रहना है, अडिग रहना है, पूरी मजबूती से, पूरी दृढ़ता से…….🙂

उड़ना है तो गिरना सीख लो



एक चिड़िया का बच्चा जब अपने घोंसले से पहली बार बाहर निकलता है तो उसके पंखों में जान नहीं होती। वो उड़ने की कोशिश करता है लेकिन जरा सा उड़कर गिर जाता है। वह फिर से दम भरता है और फिर से उड़ने की कोशिश करता है लेकिन फिर गिरता है।

वो उड़ता है और गिरता है। यही क्रम निरंतर चलता जाता है। एक बार नहीं, दो बार नहीं बल्कि हजारों बार वो गिरता है लेकिन वो उड़ना नहीं छोड़ता और एक समय ऐसा भी आता है जब वो खुले आकाश में आनंद से उड़ता है।
मेरे दोस्त जिंदगी में अगर उड़ना है तो गिरना सीख लो क्योंकि आप गिरोगे, एक बार नहीं बल्कि कई बार। आपको गिरकर फिर उठना है और फिर उड़ना है।
याद करो वो बचपन के दिन, जब बच्चा छोटा होता है तो वो चलने की कोशिश करता है। पहली बार चलता है तो गिरता है, आप भी गिरे होंगे। एक बार नहीं, कई बार, और कई बार तो बच्चों को चोट भी लग जाती है। किसी का दांत टूट जाता है, तो किसी के घुटने में चोट लग जाती है और कई बार तो सर से खून तक निकल आता है, पट्टी बांधनी पड़ती है।
लेकिन वो बच्चा चलना नहीं छोड़ता। सर पे पट्टी बंधी है, चोट लगी है, दर्द भी हुआ है लेकिन माँ की नजर बचते ही वो फिर से चलने की कोशिश करता है। उसे गिरने का डर नहीं है और ना ही किसी चोट का डर है, उसको चलना सीखना है और वो तब तक नहीं मानता जब तक चल ना ले।
सोचो उस बच्चे में कितनी हिम्मत है, उसके मन में एक लक्ष्य है – “चलना सीखना”। और वो चलना सीख भी जाता है क्योंकि वो कभी गिरने से डरता ही नहीं है।
लेकिन जब यही बच्चा बड़ा हो जाता है, उसके अदंर समझ आ जाती है तो वो डरने लगता है। इंसान जब भी कोई नया काम करने की कोशिश करता है उसके मन में गिरने का डर होता है।
=> स्टूडेंट डरता है कि पहला इंटरव्यू है, नौकरी लगेगी या नहीं लगेगी….
=> बिजनेसमैन डरता है कि नया बिजनिस कर तो लिया लेकिन चलेगा या नहीं चलेगा….
=> क्रिकेटर सोचता है कि मेरा पहला मैच है रन बना पाउँगा या नहीं बना पाउँगा…
अरे नादान मानव, तुमसे ज्यादा साहसी तो वो बच्चा है जो हजार बार गिरकर भी गिरने से नहीं डरता। सर से खून भी आ जाये तो भी नन्हें कदम फिर से चलने की कोशिश करते हैं। और एक तुम तो हो, थोड़े समझदार क्या हुए, तुम तो नासमझ हो गए।
दुनिया में कोई भी इंसान इतनी आसानी से सफल नहीं होता, ठोकरें खानी पड़ती हैं। अब ठोकरों से डरोगे तो कभी सफल नहीं हो पाओगे। राह में चाहे जितनी ठोकरें आयें आप अपने लक्ष्य को मत छोड़ो। ये ठोकरें तो आपकी परीक्षा लेती हैं, आपके कदम को मजबूत बनाती हैं ताकि जिंदगी में फिर कभी ठोकर ना खानी पड़े।
“उड़ना है तो गिरना पड़ेगा”

हर काम अपने समय पर ही होता है


एक बार एक व्यक्ति भगवान् के दर्शन करने पर्वतों पर गया| जब पर्वत के शिखर पर पहुंचा तो उसे भगवान् के दर्शन हुए| वह व्यक्ति बड़ा खुश हुआ|
उसने भगवान से कहा – भगवान् लाखों साल आपके लिए कितने के बराबर हैं ?
भगवान ने कहा – केवल 1 मिनट के बराबर
फिर व्यक्ति ने कहा – भगवान् लाखों रुपये आपके लिए कितने के बराबर हैं ?
भगवान ने कहा – केवल 1 रुपये के बराबर
तो व्यक्ति ने कहा – तो भगवान क्या मुझे 1 रुपया दे सकते हैं ?
भगवान् मुस्कुरा के बोले – 1 मिनट रुको वत्स….हा हा
मित्रों, समय से पहले और नसीब से ज्यादा ना कभी किसी को मिला है और ना ही मिलेगा| हर काम अपने वक्त पर ही होता है| वक्त आने पर ही बीज से पौधा अंकुरित होता है, वक्त के साथ ही पेड़ बड़ा होता है, वक्त आने पर ही पेड़ पर फल लगेगा| तो दोस्तों जिंदगी में मेहनत करते रहो जब वक्त आएगा तो आपको फल जरूर मिलेगा|

हाथी और रस्सी


एक व्यक्ति रास्ते से गुजर रहा था कि तभी उसने देखा कि एक हाथी एक छोटे से लकड़ी के खूंटे से बंधा खड़ा था| व्यक्ति को देखकर बड़ी हैरानी हुई कि इतना विशाल हाथी एक पतली रस्सी के सहारे उस लकड़ी के खूंटे से बंधा हुआ है|
ये देखकर व्यक्ति को आश्चर्य भी हुआ और हंसी भी आयी| उस व्यक्ति ने हाथी के मालिक से कहा – अरे ये हाथी तो इतना विशाल है फिर इस पतली सी रस्सी और खूंटे से क्यों बंधा है ? ये चाहे तो एक झटके में इस रस्सी को तोड़ सकता है लेकिन ये फिर भी क्यों बंधा है ?
हाथी के मालिक ने व्यक्ति से कहा कि श्रीमान जब यह हाथी छोटा था मैंने उसी समय इसे रस्सी से बांधा था| उस समय इसने खूंटा उखाड़ने और रस्सी तोड़ने की पूरी कोशिश की लेकिन यह छोटा था इसलिए नाकाम रहा| इसने हजारों कोशिश कीं लेकिन जब इससे यह रस्सी नहीं टूटी तो हाथी को यह विश्वास हो गया कि यह रस्सी बहुत मजबूत है और यह उसे कभी नहीं तोड़ पायेगा इस तरह हाथी ने रस्सी तोड़ने की कोशिश ही खत्म कर दी|
आज यह हाथी इतना विशाल हो चुका है लेकिन इसके मन में आज भी यही विश्वास बना हुआ है कि यह रस्सी को नहीं तोड़ पायेगा इसलिए यह इसे तोड़ने की कभी कोशिश ही नहीं करता| इसलिए इतना विशाल होकर भी यह हाथी एक पतली सी रस्सी से बंधा है|
दोस्तों उस हाथी की तरह ही हम इंसानों में भी कई ऐसे विश्वास बन जाते हैं जिनसे हम कभी पार नहीं पा पाते| एकबार असफल होने के बाद हम ये मान लेते हैं कि अब हम सफल नहीं हो सकते और फिर हम कभी आगे बढ़ने की कोशिश ही नहीं करते और झूठे विश्वासों में बंधकर हाथी जैसी जिंदगी गुजार देते हैं|

इंसान की कीमत


एक बार एक टीचर क्लास में पढ़ा रहे थे| बच्चों को कुछ नया सिखाने के लिए टीचर ने जेब से 100 रुपये का एक नोट निकाला| अब बच्चों की तरफ वह नोट दिखाकर कहा – क्या आप लोग बता सकते हैं कि यह कितने रुपये का नोट है ?
सभी बच्चों ने कहा – “100 रुपये का”
टीचर – इस नोट को कौन कौन लेना चाहेगा ? सभी बच्चों ने हाथ खड़ा कर दिया|
अब उस टीचर ने उस नोट को मुट्ठी में बंद करके बुरी तरह मसला जिससे वह नोट बुरी तरह कुचल सा गया| अब टीचर ने फिर से बच्चों को नोट दिखाकर कहा कि अब यह नोट कुचल सा गया है अब इसे कौन लेना चाहेगा ?
सभी बच्चों ने फिर हाथ उठा दिया।
अब उस टीचर ने उस नोट को जमीन पर फेंका और अपने जूते से बुरी तरह कुचला| फिर टीचर ने नोट उठाकर फिर से बच्चों को दिखाया और पूछा कि अब इसे कौन लेना चाहेगा ?
सभी बच्चों ने फिर से हाथ उठा दिया|
अब टीचर ने कहा कि बच्चों आज मैंने तुमको एक बहुत बड़ा पढ़ाया है| ये 100 रुपये का नोट था, जब मैंने इसे हाथ से कुचला तो ये नोट कुचल गया लेकिन इसकी कीमत 100 रुपये ही रही, इसके बाद जब मैंने इसे जूते से मसला तो ये नोट गन्दा हो गया लेकिन फिर भी इसकी कीमत 100 रुपये ही रही|
ठीक वैसे ही इंसान की जो कीमत है और इंसान की जो काबिलियत है वो हमेशा वही रहती है| आपके ऊपर चाहे कितनी भी मुश्किलें आ जाएँ, चाहें जितनी मुसीबतों की धूल आपके ऊपर गिरे लेकिन आपको अपनी कीमत नहीं गंवानी है| आप कल भी बेहतर थे और आज भी बेहतर हैं|

Sunday, 4 February 2018

संघर्ष

संघर्ष

चाहे कथा हो कहानी हो या फ़िल्म हो संघर्ष हमेशा हीरो के जीवन में ही होता है ।

सोने की लंका, पुष्पक विमान तो रावण के पास था, राम ने तो वनवास ही देखा ना ।

राज पाट तो कंस के पास था, जेल में जन्म तो कृष्ण ने लिया ना ।

राजमहल में तो कौरव रहते थे, वनवास तो पांडवों को ही भोगना पड़ा ना ।

इसलिए तो हम राम और कृष्ण को पूजते हैं, रावण या कंस को नहीं ।
           
राहु केतु अमृत पीने के बाद भी राक्षस हैं और शिव विष पीने के बाद भी देवों के देव महादेव हैं ।

जब हमारे देवों का जीवन सरल नहीं था तो हम तो मनुष्य हैं, अगर हमारे जीवन में संघर्ष लिखा है तो हम साधारण भी नहीं है ।

भगवान ने इस दुनिया में सबको कुछ न कुछ रोल दिए है, सबका अपना समय है स्टेज पर आने का अगर हनुमान, राम जी को पहले मिल जाते तो सीता हरण ही नहीं होता, लेकिन वो तब मिले जब उनका रोल था ।

दुनिया में कितने ही देश हैं जहाँ सूर्योदय हमसे कई घंटो बाद होता है लेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि वो हमसे पीछे हैं । वो अपने टाइम ज़ोन में हैं और हम अपने। सबका अपना टाइम ज़ोन होता है किसी के काम पहले हो जाते हैं तो किसी के देर से । तो अपने टाइम ज़ोन में रहो और ख़ुश रहो, सबका रोल महत्वपूर्ण है।

जय गुरु देव