Monday, 11 April 2016

मेरी तन्हाई और तेरी जुदाई

अपने दिल के सनमखाने के हर जर्रे पे, आँसुओं से तेरे नाम लिखे हैं हमने..
ये ख़ामोशी और दर्द के अफ़साने, कोरे कागज़ पे सजाए हैं हमने..

ये जो पत्थर के बेदिल मकान हैं, इस दुनिया की गलियों के श्मशान हैं..
तन्हाई के जिंदादिली के साये में, तुमको ख़यालों में बसाए हैं हमने..

राहों के मुकद्दर में कई मुसाफिर हैं, पर मेरी पगडंडियों पे तू अकेली है..
इस भीड़ भरी अंधेर नगरी में, तेरे नूर के माहताब जलाए हैं हमने..

मेरी दीवानगी छलक न जाए आंखों से, हम हर फुगां को दिल में दबा लेते हैं..
तुम मेरे दर्द को मिटा दोगी एक दिन, इसी उम्मीद में जख्म संभाले हैं हमने..

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