Wednesday 31 May 2017

जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई

जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई
देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई

लोग माज़ी* का भी अन्दाज़ा लगा लेते हैं
मुझको तो याद नहीं कल का भी क़िस्सा कोई

बेसबब* आँख में आँसू नहीं आया करते
आपसे होगा यक़ीनन  मेरा रिश्ता कोई

याद आने लगा एक दोस्त का बर्ताव मुझे
टूट कर गिर पड़ा जब शाख़ से पत्ता कोई

बाद में साथ निभाने की क़सम खा लेना
देख लो जलता हुआ पहले पतंगा कोई

उसको कुछ देर सुना लेता हूँ रूदादे-सफ़र*
राह में जब कभी मिल जाता है अपना कोई

कैसे समझेगा बिछड़ना वो किसी का “राना”
टूटते देखा नहीं जिसने सितारा कोई

माज़ी – अतीत
बेसबब – अकारण
रूदादे-सफ़र – यात्रा का विवरण

मुनव्वर राना 

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