Wednesday 31 May 2017

हर एक आवाज़ उर्दू को फरियादी बताती है

हर एक आवाज़ उर्दू को फरियादी बताती है
ये पगली फिर भी अब तक खुद को शहजादी बताती है

कई बातें मोहब्बत सबको बुनियादी बताती हैं
जो परदादी बताती थी वही दादी बताती हैं

जहाँ पिछले कई बरसों से काले नाग रहते हैं
वहाँ एक घोसला चिडियों का था दादी बताती है

अभी तक ये इलाका है रवादारी के कब्ज़े में
अभी फिरकापरस्ती* कम है आबादी बताती है

यहाँ वीरानियों की एक मुद्दत से हुकूमत है
यहाँ से नफरते गुजरी हैं बर्बादी बताती है

लहू कैसे बहाया जाए ये लीडर बताते हैं
लहू का जायका कैसा है ये खादी बताती है

गुलामी  ने अभी तक मुल्क का पीछा नहीं छोड़ा
हमे फिर कैद होना है ये आज़ादी बताती है

गरीबी  क्यूँ हमारे शहर से बाहर नहीं जाती
अमीर-ए-शहर के घर की हर एक शादी बताती है

मैं उन आँखों के मयखाने में थोड़ी देर बैठा था
मुझे दुनिया नशे का आज तक आदी बताती है

फिरकापरस्ती – साम्प्रदायिकता
मुनव्वर राना 

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