Wednesday 31 May 2017

वो दोस्ती हो मुहब्बत हो चाहे सोना हो

यह एहतराम तो करना ज़रूर पड़ता है
जो तू ख़रीदे तो बिकना ज़रूर पड़ता है

बड़े सलीक़े से यह कह के ज़िन्दगी गुज़री
हर एक शख़्स को मरना ज़रूर पड़ता है

वो दोस्ती हो मुहब्बत हो चाहे सोना हो
कसौटियों पे परखना ज़रूर पड़ता है

कभी जवानी से पहले कभी बुढ़ापे में
ख़ुदा के सामने झुकना ज़रूर पड़ता है

हो चाहे जितनी पुरानी भी दुश्मनी लेकिन
कोई पुकारे तो रुकना ज़रूर पड़ता है

शराब पी के बहकने से कौन रोकेगा ?
शराब पी के बहकना ज़रूर पड़ता है

वफ़ा की राह पे चलिए मगर ये ध्यान रहे
की दरमियान में सहरा ज़रूर पड़ता है

मुनव्वर राना 

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