Saturday 21 May 2016

सब कुछ है मेरे पास, बस एक तुझ को छोड़कर

ऐ वक़्त तुम हो किधर?
कई दिनों से तुम दिखे नहीं..
तुम तेज़ भाग रहे हो या मैं धीमे चल रहा हूँ..
शायद मैं ही धीमे चल रहा हूँ..
राह में ख़्वाब मिले, अरमान मिले, आसना भी मिले..
पर तुझे पता है ना तेरे बिना मैं किसी से नहीं मिलता..
तो कैसे तुम बिन उनका एहतराम करूँ?
दौड़ते भागते साँसें फूल सी रही हैं..
कैसे तुम बिन कुछ पल आराम करूँ..

रुक न थोड़ी देर, साथ ही चलते हैं..
गर साथ नहीं चल सकते तो साथ चलना ही सिखा दे..
तुम आखिर जा किधर रहे हो, बस यही दिखा दे..
रुक न थोड़ी देर, साथ बैठते हैं, बातें करते हैं..
तेरे बिना हर एक चीज़ बुरी सी लगती है..
तेरे बिना ज़िन्दगी ही अधूरी सी लगती है..

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