कोई कवि नहीं हूँ मैं, ना मुझे काव्य रस का ज्ञान है..
मैं तो एक अज्ञानी हूँ, अपने व्यक्तित्व पर ना मुझे अभिमान है..
लिखना मेरा व्यापार नहीं, मैं तो बस कभी कलम उठा लेता हूँ..
जो बात खुद से भी नहीं कह पाता, वो कुछ शब्दों में पिरो देता हूँ..
दिल का बोझ तब कुछ कम सा लगता है, तन्हाई में होने के बाद भी..
अकेले होने का एहसास एक भ्रम सा लगता है..
मैंने तो बस कोरे पन्नों पर, मन की स्याही से चन्द शब्द बिखेर दिए..
कुछ के लिए ये पढ़कर कविता, और कुछ को ये सिर्फ़ शब्दों का ढेर लगे..
मेरी रचनाएँ तो बस मेरी ही कहानी कहती हैं..
जो एहसास ज़ुबान से व्यक्त नहीं हो पाते, वो कविता नामक झरोखे से झाँका करते हैं..
किसी अलग दुनिया में नहीं रहता, ना भावनाओं के सरोवर में गोते खाता हूँ..
ना तन्हाई मेरी संगनी है, ना किसी शोर शराबे से घबराता हूँ..
मैं तो हूँ बस एक सुकून भरे जहां की खोज में, अपने आप को पाने की इच्छा है..
दुनिया को तो जान ना सका, ख़ुद को पहचानने की हसरत है..
कोई कवि नहीं हूँ मैं, ना मुझे काव्य रस का ज्ञान है..
मैं तो एक अज्ञानी हूँ, अपने व्यक्तित्व पर ना मुझे अभिमान है..
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