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Monday, 6 April 2020

Short Motivational Story of a Butterfly in Hindi & English




एक बार, एक व्यक्ति को अपने बागीचे के एक पोधे पर, तितली का एक कोकून बना हुआ दिखाई दिया! तितली जब अंडे से बाहर निकलती है, तो वह एक इल्ली की तरह होती है, जब यह इल्ली पौधों की पत्तियां खा कर बड़ी हो जाती है, तो यह अपने मुह से, रेशम जैसे धागों को बनाकर, अपने आस पास एक खोल बनाकर उसमे बंद हो जाती है, इसी खोल को कोकून कहतें हैं। इस कोकून के अंदर ही, यह इल्ली आश्चर्यजनक रूप से तितली के रूप में विकसित हो जाती है।

वह व्यक्ति, प्रतिदिन सुबह उस कोकून को कोतूहल से देखने लगा। उसे इस प्रकृति की इस अनोखी प्रकिर्या को होते हुए देखने की बहुत इच्छा थी। एक दिन उसने देखा की कोकून का मुह कुछ खुला हुआ है, वह, वहीँ बैठकर तितली को कोकून से बाहर आने की लिए संघर्ष करते हुए देखने लगा। तितली अपनी पूरी ताकत लगाकर कोकून को तोड़कर बाहर आने की कोशिश कर रही थी।

उस व्यक्ति ने सोचा की क्यों ना में इस तितली की मदद करूँ, और यही सोचकर उसने, तिनके की सहायता से पूरा कोकून खोल दिया ताकि तितली आसानी से निकल जाये। तितली आसानी से निकल तो गयी, लेकिन उसका शरीर फूला हुआ और एक पंख मुरझाया हुआ था।

वह व्यक्ति इस इंतज़ार में तितली को देखता रहा की कब उसके पंख खुले और यह कब उड़ेगी। पर अफ़सोस एसा कभी नहीं हुआ, बल्कि वह तितली कभी नहीं उड़ पायी।

अपनी दया और उत्सुकता की जल्दी में, वह व्यक्ति, यह नहीं समझ पाया की कोकून की सख्त खोल को तोड़कर, निकलने के लिए तितली का संघर्ष, ईश्वर द्वारा बनायीं गयी एक आवश्यक तरकीब थी, जिससे तितली के शरीर का तरल और खून उसके पंख में पहुँच कर उसे फैला सके, और वह उड़ान भरने के लिए तैयार हो जाये।

कभी कभी, जीवन में, संघर्ष बहुत ज़रूरी होता है, अगर, God हमारी ज़िन्दगी से सभी कठिनाइयां और संघर्ष हटा ले तो हमारा सम्पूर्ण विकास नहीं हो पायेगा और हम ताकतवर नहीं बन पाएंगे। जीवन में आप जिन संघर्षो का आज सामना कर रहे हैं, वही आपकी उन शक्तियों का विकास कर रहे हैं जिनकी आपको कल ज़रुरत पड़ेगी।

A very inspirational short story that can teach you priceless life lessons to move ahead in life. This moral story also explains the importance of struggle in life for succeeding.

One bright morning a man found a silky cocoon of a butterfly in a garden. He was very eager to see what will happen to that cocoon. Next day the man found a small opening was appearing from the cocoon. He sat there in a sheer curiosity and started watching what happens next to butterfly for several hours.

The butterfly was struggling to wrench its whole body through the little hole. Then suddenly man found that butterfly stopped its movement and couldn't go further. Therefore, the kind man pitied the innocent butterfly and started to help it. He tried to free the butterfly from a tiny hole by cutting the cocoon with the help of scissors.

The butterfly emerged easily because the man helped it, but the butterfly had withered wings with the swollen body.The man was very happy as he helped the butterfly to come out from the tiny cocoon hole.The man continued to watch it.

The man was expecting that any minute the wings of the butterfly would begin to enlarge and it will start to fly but for the man’s surprise, nothing happened!

In fact, the beautiful and innocent butterfly was never able to fly with its beautiful wings.

The man was very kind but what he did not understand is, by restricting cocoon actually he is disrupting the whole life cycle of the butterfly because the struggle for coming out from the cocoon was necessary for butterfly’s life.

It was a natural process of progress but the man interrupted the entire process thus the beautiful butterfly died because of kind man’s foolishness.

Moral Lesson Of The Story:
What can we learn from this short motivational story?

This beautiful short story depicts the importance of struggle in life.The struggle is what makes us strong. The struggle is necessary for life to preparing ourselves for future opportunities.

So, next time when you feel your life is going through struggles, problems, and obstacles, try to remember this inspiring short story to embrace the truth that-

The struggle is a start of achieving something extraordinary.

Friday, 3 April 2020

स्वामी विवेकानंद के जीवन के 3 प्रेरक प्रसंग



लक्ष्य पर ध्यान लगाओ 


स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे . एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े  कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा . किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था . तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे . उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा ….. फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाये और सभी बिलकुल सटीक लगे . ये देख लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा , ” भला आप ये कैसे कर लेते हैं ?”
स्वामी जी बोले , “तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में लगाओ. अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए. तब तुम कभी चूकोगे नहीं . अगर तुम अपना पाठ पढ़ रहे हो तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो . मेरे देश में बच्चों को ये करना सिखाया जाता है. ”
डर का सामना 

एक बार बनारस में स्वामी जी दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे की तभी वहां मौजूद  बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया. वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने लगे . स्वामी जी भयभीत हो गए और खुद को बचाने के लिए दौड़ कर भागने लगे, पर बन्दर तो मानो पीछे ही पड़ गए, और वे उन्हें दौडाने लगे. पास खड़ा एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहा था , उसने स्वामी जी को रोका और बोला , ” रुको ! उनका सामना करो !”
स्वामी जी तुरन्त पलटे  और बंदरों के तरफ बढ़ने लगे , ऐसा करते ही सभी बन्दर भाग गए . इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक संबोधन में कहा भी – ” यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो तो उससे भागो मत , पलटो और सामना करो.”
सच बोलने की हिम्मत
स्वामी विवेकानंदा प्रारंभ से ही एक मेधावी छात्र थे और सभी उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित  रहते थे. जब वो साथी छात्रों से कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध हो उन्हें सुनते. एक दिन इंटरवल के दौरान वो कक्षा में कुछ मित्रों को कहानी सुना रहे थे , सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे की उन्हें पता ही नहीं चला की कब मास्टर जी कक्षा में आये और पढ़ाना शुरू कर दिया.
मास्टर जी ने अभी पढ़ना शुरू ही किया था कि उन्हें कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी.
” कौन बात कर रहा है ?” उन्होंने तेज आवाज़ में पूछा . सभी ने स्वामी जी और उनके साथ बैठे छात्रों किई तरफ इशारा कर दिया.
मास्टर जी  तुरंत क्रोधित हो गए, उन्होंने तुरंत उन छात्रों को बुलाया और  पाठ से संबधित एक प्रश्न पूछने लगे. जब कोई भी उत्तर न दे सका ,तब अंत में मास्टर जी ने  स्वामी जी से भी वही प्रश्न किया . पर स्वामी जी तो मानो सब कुछ पहले से ही जानते हों , उन्होंने आसानी से उत्तर दे दिया.
यह देख उन्हें यकीन हो गया कि स्वामी जी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बात-चीत में लगे हुए थे. फिर क्या था उन्होंने स्वामी जी को छोड़ सभी को बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी . सभी छात्र एक -एक कर बेच पर खड़े होने लगे, स्वामी जे ने भी यही किया.
तब मास्टर जी बोले, ” नरेन्द्र (स्वामी विवेकानंद )) तुम बैठ जाओ.”
” नहीं सर , मुझे भी खड़ा होना होगा क्योंकि वो मैं ही था जो इन छात्रों से बात कर रहा था.”,स्वामी जी ने आग्रह किया.

भगवान बुद्ध का उपदेश




एक समय की बात है भगवान बुद्ध अपने कुछ संतों के साथ रामपुर नामक एक गाँव में कथा कहने के लिये जा रहे थे।

गाँव की तरफ जाते समय उन्हें और उनके संतों को रास्ते में कुछ छोटे-छोटे गड्ढे खुदे हुए दिखायी दिये।

उन संतों में से एक सन्त ने भगवान बुद्ध से पूछा, स्वामी रास्ते में इतने सारे गड्ढे खोदने का क्या कारण हो सकता है?

भगवान बुद्ध ने एक मुस्कराहट के साथ उस सन्त को जवाब दिया कि कोई व्यक्ति यहाँ पानी की तलाश कर रहा था, एक जगह पानी नहीं मिला तो दूसरी जगह गड्ढा किया, और फिर तीसरी, फिर चौथी और जब वो गड्ढा खोद-खोदकर थक गया और इतनी मेहनत करने के बाद भी पानी नहीं मिला तो छोड़ कर चला गया।

अगर वो कई जगह खोदकर पानी ढूँढने के बजाय एक ही जगह अपनी सारी ऊर्जा लगाकर गड्ढा खोदता तो सायद उसे पानी मिल जाता।

इसी लिये कहा जाता है कि किसी भी काम को करते समय धैर्य रखना चाहिये, क्या पता कि हम अपनी मंजिल तक पहुँचने ही वाले हो और बस पास में ही पहुँचकर हार मान लें।

तेरा मेरा रिश्ता



एक garden में एक बार दो बच्चे एक लड़की और एक लड़का खेल रहे थे, लड़के के पास कुछ सुंदर-सुंदर चमकते हुए पत्थर थे और लड़की के पास कुछ chocolates थे।

लड़के ने लड़की को offer किया कि अगर वो अपने सारे chocolates लड़के को दे दे तो वो उसे अपने सारे पत्थर दे देगा।

लड़की तैयार हो गयी और उसने लड़के को उस पत्थर के बदले अपने सारे chocolates दे दिये, लेकिन लड़के ने उसे सारे पत्थर नहीं दिये, उसमें जो सबसे सुंदर और बड़ा पत्थर था उसको उस लड़के ने छुपा लिए और बाकी के सारे पत्थर दे दिये।

अदला-बदली करने के बाद दोनों घर चले गये, रात को जब दोनों सोने गये तो लड़की तो आराम से सो गयी लेकिन लड़का सोचने लगा कि सायद लड़की ने उसे सारे chocolates नहीं दिये थे बल्कि अच्छे chocolates उसने छुपा लिये होगे, और यही सोच-सोचकर उसे पूरी रात नींद नहीं आयी।

Moral of the Story

पहली सीख – अगर किसी भी relationship में आप अपना 100% नहीं देते तो आपको हमेसा ये doubt रहेगा कि उसने अपना 100% नहीं दिया होगा इसलिये don’t cheat with anyone.

दूसरी सीख – आप जिसके साथ जैसा करते है या सोचते हैं वैसा ही आप दूसरो के साथ भी करते हैं इसलिये हमेसा अच्छा करें और अच्छा सोचें।

चील और मुर्गी की कहानी



एक जंगल में बरगद का पेड़ था. उस पेड़ के ऊपर एक चील घोंसला बनाकर रहती थी जहाँ उसने अंडे दे रखे थे. उसी पेड़ के नीचे एक जंगली मुर्गी ने भी अंडे दे रखें थे. एक दिन उस चील के अंडों में से एक अंडा नीचे गिरा और मुर्गी के अंडों में जाकर मिल गया.

समय बीता अंडा फूटा और चील का बच्चा उस अंडे से निकला और वह यह सोचते बड़ा हुआ की वो एक मुर्गी है. वो मुर्गी के बांकी बच्चों के साथ बड़ा हुआ. वह उन्ही कामों को करता जिन्हें एक मुर्गी करती है. वो मुर्गी की तरह ही कुड़कुड़ाता, जमीन खोद कर दाने चुगता और वो इतना ही ऊँचा उड़ पाता जितना की एक मुर्गी उड़ती है.

एक दिन उसने आसमान में एक चील को देखा जो बड़ी शान से उड़ रही थी. उसने अपनी मुर्गी माँ से पूछा की उस चिड़िया का क्या नाम है जो इतना ऊँचा बड़ी शान से उड़ रही है. मुर्गी ने जबाब दिया वह एक चील है. फिर चील के बच्चे ने पूछा माँ मैं इतना ऊँचा क्यों नहीं उड़ पाता। मुर्गी बोली तुम इतना ऊँचा नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम एक मुर्गे हो. उसने मुर्गी की बात मान ली और मुर्गे की जिंदगी जीता हुआ एक दिन मर गया. 

कहानी से सीख |

जो भी हम सोचते हैं या कुछ नया करने की कोशिश करते हैं तो दूसरे हमें यह कहकर रोकते हैं कि तुम ऐसा नहीं कर सकते, ऐसा नहीं हो सकता और हम अपना इरादा यह सोचकर बदल लेते हैं कि वाकई मैं यह नहीं कर सकता और हार मान लेते हैं.

इसका मुख्य कारण है अपने ऊपर भरोसा न होना, अपनी शक्तिओं पर भरोसा न होना, अपने काम पर भरोसा न होना. दोस्तों जो लोग कहते हैं कहने दीजिये लोगों का काम है कहना, अपने आप पर भरोसा रखें, अपने आप को पहचाने. दोस्तों अगर जीत निश्चित हो तो कायर भी लड़ जाते हैं , बहादुर वो कहलाते हैं, जो हार निश्चित हो, फिर भी मैदान नहीं छोड़ते!

मेंढकों की टोली



एक मेंढकों की टोली जंगल के रास्ते से जा रही थी. अचानक दो मेंढक एक गहरे गड्ढे में गिर गये. जब दूसरे मेंढकों ने देखा कि गढ्ढा बहुत गहरा है तो ऊपर खड़े सभी मेढक चिल्लाने लगे ‘तुम दोनों इस गढ्ढे से नहीं निकल सकते, गढ्ढा बहुत गहरा है, तुम दोनों इसमें से निकलने की उम्मीद छोड़ दो.

उन दोनों मेढकों ने शायद ऊपर खड़े मेंढकों की बात नहीं सुनी और गड्ढे से निकलने की लिए लगातार वो उछलते रहे. बाहर खड़े मेंढक लगातार कहते रहे ‘ तुम दोनों बेकार में मेहनत कर रहे हो, तुम्हें हार मान लेनी चाहियें, तुम दोनों को हार मान लेनी चाहियें. तुम नहीं निकल सकते.

गड्ढे में गिरे दोनों मेढकों में से एक मेंढक ने ऊपर खड़े मेंढकों की बात सुन ली, और उछलना छोड़ कर वो निराश होकर एक कोने में बैठ गया. दूसरे मेंढक ने प्रयास जारी रखा, वो उछलता रहा जितना वो उछल सकता था.

बहार खड़े सभी मेंढक लगातार कह रहे थे कि तुम्हें हार मान लेनी चाहियें पर वो मेंढक शायद उनकी बात नहीं सुन पा रहा था और उछलता रहा और काफी कोशिशों के बाद वो बाहर आ गया. दूसरे मेंढकों ने कहा ‘क्या तुमने हमारी बात नहीं सुनी.

उस मेंढक ने इशारा करके बताया की वो उनकी बात नहीं सुन सकता क्योंकि वो बेहरा है सुन नहीं सकता, इसलिए वो किसी की भी बात नहीं सुन पाया. वो तो यह सोच रहा था कि सभी उसका उत्साह बढ़ा रहे हैं. 

कहानी से सीख |

1. जब भी हम बोलते हैं उनका प्रभाव लोगों पर पड़ता है, इसलिए हमेशा सकारात्मक बोलें.

2. लोग चाहें जो भी कहें आप अपने आप पर पूरा विश्वाश रखें और सकरात्मक सोचें.

3. कड़ी मेहनत, अपने ऊपर विश्वाश और सकारात्मक सोच से ही हमें सफलता मिलती है.

Friday, 19 April 2019

Donkey in the well



One day a farmer's donkey fell down into a well. The animal cried piteously for hours as the farmer tried to figure out what to do. Finally, he decided the animal was old, and the well needed to be covered up anyway; it just wasn't worth it to retrieve the donkey. He invited all his neighbors to come over and help him. They all grabbed a shovel and began to shovel dirt into the well. At first, the donkey realized what was happening and cried horribly. Then, to everyone's amazement he quieted down. A few shovel loads later, the farmer finally looked down the well. He was astonished at what he saw. With each shovel of dirt that hit his back, the donkey was doing something amazing. He would shake it off and take a step up. As the farmer's neighbors continued to shovel dirt on top of the animal, he would shake it off and take a step up. Pretty soon, everyone was amazed as the donkey stepped up over the edge of the well and happily trotted off! Life is going to shovel dirt on you, all kinds of dirt. The trick to getting out of the well is to shake it off and take a step up. Each of our troubles is a steppingstone. We can get out of the deepest wells just by not stopping, never giving up! Shake it off and take a step up. NOW -------- Enough of that crap... The donkey later came back and bit the shit out of the farmer who had tried to bury him. The gash from the bite got infected, and the farmer eventually died in agony from septic shock. MORAL FROM TODAY'S LESSON: When you do something wrong and try to cover your ass, it always comes back to bite you.

Saturday, 24 November 2018

The Group of Frogs



A group of frogs were travelling through the forest when two of them fell into a deep pit. When the other frogs saw how deep the pit was, they told the two frogs that there was no hope left for them.
However, the two frogs ignored their comrades and proceeded to try to jump out of the pit. However, despite their efforts, the group of frogs at the top of the pit were still saying that they should just give up as they’d never make it out.
Eventually, one of the frogs took heed of what the others were saying and he gave up, jumping even deeper to his death. The other frog continued to jump as hard as he could. Once again, the group of frogs yelled at him to stop the pain and to just die.
He ignored them, and jumped even harder and finally made it out. When he got out, the other frogs said, “Did you not hear us?”
The frog explained to them that he was deaf, and that he thought they were encouraging him the entire time.
Moral of the story: People’s words can have a huge effect on the lives of others. Therefore, you should think about what you’re going to say before it comes out of your mouth – it might just be the difference between life and death.