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Friday, 3 April 2020

तेरा मेरा रिश्ता



एक garden में एक बार दो बच्चे एक लड़की और एक लड़का खेल रहे थे, लड़के के पास कुछ सुंदर-सुंदर चमकते हुए पत्थर थे और लड़की के पास कुछ chocolates थे।

लड़के ने लड़की को offer किया कि अगर वो अपने सारे chocolates लड़के को दे दे तो वो उसे अपने सारे पत्थर दे देगा।

लड़की तैयार हो गयी और उसने लड़के को उस पत्थर के बदले अपने सारे chocolates दे दिये, लेकिन लड़के ने उसे सारे पत्थर नहीं दिये, उसमें जो सबसे सुंदर और बड़ा पत्थर था उसको उस लड़के ने छुपा लिए और बाकी के सारे पत्थर दे दिये।

अदला-बदली करने के बाद दोनों घर चले गये, रात को जब दोनों सोने गये तो लड़की तो आराम से सो गयी लेकिन लड़का सोचने लगा कि सायद लड़की ने उसे सारे chocolates नहीं दिये थे बल्कि अच्छे chocolates उसने छुपा लिये होगे, और यही सोच-सोचकर उसे पूरी रात नींद नहीं आयी।

Moral of the Story

पहली सीख – अगर किसी भी relationship में आप अपना 100% नहीं देते तो आपको हमेसा ये doubt रहेगा कि उसने अपना 100% नहीं दिया होगा इसलिये don’t cheat with anyone.

दूसरी सीख – आप जिसके साथ जैसा करते है या सोचते हैं वैसा ही आप दूसरो के साथ भी करते हैं इसलिये हमेसा अच्छा करें और अच्छा सोचें।

चील और मुर्गी की कहानी



एक जंगल में बरगद का पेड़ था. उस पेड़ के ऊपर एक चील घोंसला बनाकर रहती थी जहाँ उसने अंडे दे रखे थे. उसी पेड़ के नीचे एक जंगली मुर्गी ने भी अंडे दे रखें थे. एक दिन उस चील के अंडों में से एक अंडा नीचे गिरा और मुर्गी के अंडों में जाकर मिल गया.

समय बीता अंडा फूटा और चील का बच्चा उस अंडे से निकला और वह यह सोचते बड़ा हुआ की वो एक मुर्गी है. वो मुर्गी के बांकी बच्चों के साथ बड़ा हुआ. वह उन्ही कामों को करता जिन्हें एक मुर्गी करती है. वो मुर्गी की तरह ही कुड़कुड़ाता, जमीन खोद कर दाने चुगता और वो इतना ही ऊँचा उड़ पाता जितना की एक मुर्गी उड़ती है.

एक दिन उसने आसमान में एक चील को देखा जो बड़ी शान से उड़ रही थी. उसने अपनी मुर्गी माँ से पूछा की उस चिड़िया का क्या नाम है जो इतना ऊँचा बड़ी शान से उड़ रही है. मुर्गी ने जबाब दिया वह एक चील है. फिर चील के बच्चे ने पूछा माँ मैं इतना ऊँचा क्यों नहीं उड़ पाता। मुर्गी बोली तुम इतना ऊँचा नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम एक मुर्गे हो. उसने मुर्गी की बात मान ली और मुर्गे की जिंदगी जीता हुआ एक दिन मर गया. 

कहानी से सीख |

जो भी हम सोचते हैं या कुछ नया करने की कोशिश करते हैं तो दूसरे हमें यह कहकर रोकते हैं कि तुम ऐसा नहीं कर सकते, ऐसा नहीं हो सकता और हम अपना इरादा यह सोचकर बदल लेते हैं कि वाकई मैं यह नहीं कर सकता और हार मान लेते हैं.

इसका मुख्य कारण है अपने ऊपर भरोसा न होना, अपनी शक्तिओं पर भरोसा न होना, अपने काम पर भरोसा न होना. दोस्तों जो लोग कहते हैं कहने दीजिये लोगों का काम है कहना, अपने आप पर भरोसा रखें, अपने आप को पहचाने. दोस्तों अगर जीत निश्चित हो तो कायर भी लड़ जाते हैं , बहादुर वो कहलाते हैं, जो हार निश्चित हो, फिर भी मैदान नहीं छोड़ते!

मेंढकों की टोली



एक मेंढकों की टोली जंगल के रास्ते से जा रही थी. अचानक दो मेंढक एक गहरे गड्ढे में गिर गये. जब दूसरे मेंढकों ने देखा कि गढ्ढा बहुत गहरा है तो ऊपर खड़े सभी मेढक चिल्लाने लगे ‘तुम दोनों इस गढ्ढे से नहीं निकल सकते, गढ्ढा बहुत गहरा है, तुम दोनों इसमें से निकलने की उम्मीद छोड़ दो.

उन दोनों मेढकों ने शायद ऊपर खड़े मेंढकों की बात नहीं सुनी और गड्ढे से निकलने की लिए लगातार वो उछलते रहे. बाहर खड़े मेंढक लगातार कहते रहे ‘ तुम दोनों बेकार में मेहनत कर रहे हो, तुम्हें हार मान लेनी चाहियें, तुम दोनों को हार मान लेनी चाहियें. तुम नहीं निकल सकते.

गड्ढे में गिरे दोनों मेढकों में से एक मेंढक ने ऊपर खड़े मेंढकों की बात सुन ली, और उछलना छोड़ कर वो निराश होकर एक कोने में बैठ गया. दूसरे मेंढक ने प्रयास जारी रखा, वो उछलता रहा जितना वो उछल सकता था.

बहार खड़े सभी मेंढक लगातार कह रहे थे कि तुम्हें हार मान लेनी चाहियें पर वो मेंढक शायद उनकी बात नहीं सुन पा रहा था और उछलता रहा और काफी कोशिशों के बाद वो बाहर आ गया. दूसरे मेंढकों ने कहा ‘क्या तुमने हमारी बात नहीं सुनी.

उस मेंढक ने इशारा करके बताया की वो उनकी बात नहीं सुन सकता क्योंकि वो बेहरा है सुन नहीं सकता, इसलिए वो किसी की भी बात नहीं सुन पाया. वो तो यह सोच रहा था कि सभी उसका उत्साह बढ़ा रहे हैं. 

कहानी से सीख |

1. जब भी हम बोलते हैं उनका प्रभाव लोगों पर पड़ता है, इसलिए हमेशा सकारात्मक बोलें.

2. लोग चाहें जो भी कहें आप अपने आप पर पूरा विश्वाश रखें और सकरात्मक सोचें.

3. कड़ी मेहनत, अपने ऊपर विश्वाश और सकारात्मक सोच से ही हमें सफलता मिलती है.

Tuesday, 31 March 2020

कोरोना पर कविता : मुझसे डरो ना...Corona


कल रात मेरे सपने में आया कोरोना....
 
उसे देख जो मैं डरा, तो वो मुस्कुरा के बोला
मुझसे डरो ना... 
 
उसने कहा- कितनी अच्छी है तुम्हारी संस्कृति। 
न चूमते, न गले लगाते..
दोनों हाथ जोड़ कर, वो स्वागत करते, वही करो ना
मुझसे डरो ना...
 
कहां से सीखा तुमने ?? रूम स्प्रे ,बॉडी स्प्रे
पहले तो तुम धूप, दीप कपूर, अगरबत्ती, लोभान जलाते 
वही करो ना,
मुझसे डरो ना...
 
शुरू से तुम्हें सिखाया गया..
अच्छे से हाथ पैर धोकर घर में घुसो, 
मत भूलो अपनी संस्कृति, वही करो ना 
मुझसे डरो ना... 
 
उसने कहा सादा भोजन उच्च विचार 
यही तो है तुम्हारे संस्कार।
उन्हें छोड़ जंक फूड फ़ास्ट फूड के चक्कर में पड़ो ना 
मुझसे डरो ना... 
 
उसने कहा शुरू से ही जानवरों को पाला-पोसा, प्यार दिया 
रक्षण की है तुम्हारी संस्कृति, उनका भक्षण करो ना 
मुझसे डरो ना...
 
कल रात मेरे सपने में आया कोरोना 
बोला मुझसे डरो ना...

Saturday, 24 November 2018

The Group of Frogs



A group of frogs were travelling through the forest when two of them fell into a deep pit. When the other frogs saw how deep the pit was, they told the two frogs that there was no hope left for them.
However, the two frogs ignored their comrades and proceeded to try to jump out of the pit. However, despite their efforts, the group of frogs at the top of the pit were still saying that they should just give up as they’d never make it out.
Eventually, one of the frogs took heed of what the others were saying and he gave up, jumping even deeper to his death. The other frog continued to jump as hard as he could. Once again, the group of frogs yelled at him to stop the pain and to just die.
He ignored them, and jumped even harder and finally made it out. When he got out, the other frogs said, “Did you not hear us?”
The frog explained to them that he was deaf, and that he thought they were encouraging him the entire time.
Moral of the story: People’s words can have a huge effect on the lives of others. Therefore, you should think about what you’re going to say before it comes out of your mouth – it might just be the difference between life and death.