शब्द ...गहरे अर्थों वाले 
भाव ...कुछ मनचले से 
श्वास भर समीर ......चंचल महकी 
सफेद चंपा ......कुछ पत्तियाँ पीली 
एक राग मल्हार 
अमावस की रात 
घास ...तितलियाँ 
बत्तख ...मछलियाँ 
फूलों के रंग ...वसंत का मन 
तड़प ...थोड़ी चुभन 
स्मृति की धडकन 
एक माचिस आग 
एक मुठ्ठी राख 
एक टुकड़ा धूप 
चाँद का रुपहला रूप 
सब बाँधा है आँचल में 
और हाँ ...एक सितारा 
बस एक ...अपने नाम का 
टाँका है अपने गगन में 
रुको ! कुछ स्वार्थ भी भर लूँ 
.....संवेदना के भीतर 
एक कविता जो लिखनी है मुझे ...
अपने ऊपर- 
 
 
  
 
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