मैं इंतजार में हूं कि कब टूटेगी तेरी खामोशी..
तुम इंतजार में हो कि नहीं, देख मेरी खामोशी..
दर्द उठता है दिल में सुरलहर की तरह..
मैं किस तरह बयां करूं रोती हुई खामोशी..
नगमों के रहगुजर में हैं उदासी भरे कांटे..
लफ़्जों में तड़पती है चुभती हुई खामोशी..
मैं परेशां नहीं हूं अपनी गम भरी दुनिया से..
मैं परेशां हूं देखकर तेरी दर्द भरी खामोशी..
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