Friday 19 January 2018

भगवान गौतम बुद्ध पर जब क्रोधित हुई महिला

एक बार श्री गौतम बुद्ध किसी गाँव में भिक्षा मांगने जाते हैं , गाँव के एक घर के दरवाजे पहुंचकर भिक्षा के लिए आवाज देते हैं | घर की मालकिन जो कि बड़े ही क्रोधी स्वभाव की है ,आवाज सुनकर दरवाजे पर पहुंचती है और दरवाजे पर खड़े श्री गौतम बुद्ध पर क्रोध के आवेश में आकर अपशब्दों की बारिश कर देती है | श्री गौतम बुद्ध बड़े ही शांत मन से उस महिला की बातों को सुनते हैं , कुछ देर बाद जब महिला का गुस्सा शांत होता है तो वह अपने कृत्य पर लज्जित होते हुए क्षमा याचना करती है और अपनी रसोई में से ताजा पकाया भात लाकर  श्री गौतम बुद्ध के भिक्षापात्र में डाल देती है | उसके बाद महिला श्री गौतम बुद्ध से अपने अपशब्दों को सुनकर भी शांत रहने का कारण पूछती है | श्री गौतम बुद्ध मुस्कुराकर कहते हैं के -हे माता आपने अभी जो भात मेरे भिक्षापात्र में डाला है यदि में उसे लेने से इंकार कर देता  तो वह किसके पास रहता? महिला कहती है कि यदि आप वो भात मुझ से नहीं लेते तो वह भात मेरे पास ही रहता | श्री गौतम बुद्ध कहते हैं , उसी प्रकार आपने जो अपशब्द मुझे कहे और मैंने ग्रहण नहीं करे तो वह भी आपके पास ही रहेंगे | महिला अपनी भूल पर एक बार फिर क्षमा याचना करती है और भगवान बुद्ध भी महिला को क्षमा करते हुए अपना आशीष प्रदान करते हैं और भात के लिए धन्यवाद देते हुए आगे बड़ जाते हैं |

“इस प्रसंग से ये प्रेरणा मिलती है कभी भी क्रौध में आकर अपने विचारों को और शब्दों को दूषित नहीं करना चाहिए | सदैव विचारों में पवित्रता और वाणी में मधुरता बनाए रखना चाहिए।“

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