Thursday 25 January 2018

त्याग की भावना ही किसी भी इंसान को महान बना सकती है - स्वामी विवेकानंद



एक समय की बात है। लंबी यात्राओं और भाषणों से थके हुए स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) अपने निवास स्थान पर लौटे। उन दिनों वे अमेरिका में एक महिला के यहां ठहरे हुए थे। वे अपने हाथों से भोजन बनाते थे। एक दिन वे भोजन की तैयारी कर रहे थे कि कुछ बच्चे पास आकर खड़े हो गए। उनके पास सामान्यतया बच्चों का आना-जाना लगा ही रहता था। बच्चे भूखे थे। स्वामीजी ने अपनी सारी रोटियां एक-एक कर बच्चों में बांट दी।

महिला वहीं बैठी सब देख रही थी। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। आखिर उससे रहा नहीं गया और उसने स्वामीजी से पूछ ही लिया- आपने सारी रोटियां उन बच्चों को दे डाली। अब आप क्या खाएंगे। स्वामीजी के अधरों पर मुस्कान दौड़ गई। उन्होंने प्रसन्न होकर कहा- मां रोटी तो पेट की ज्वाला शांत करने वाली वस्तु है। इस पेट में न सही, उस पेट में ही सही। देने का आनंद पाने के आनंद से बड़ा होता है।

सीख: त्याग की भावना ही किसी भी इंसान को महान बना सकती है। जो खुशी किसी चीज को देने में मिलती है वो कभी लेने में नहीं मिलती है।


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