बड़ी पढ़ाई लिखाई और मेहनत के बाद मैंने private नौकरी पायी है..
नौकरी में आया तो ये जाना, यहाँ एक तरफ कुआँ तो दूसरी तरफ खाई है..
जहाँ कदम कदम पर ज़िल्लत, और घड़ी घड़ी पर ताने हैं..
यहाँ मुझे अपनी ज़िन्दगी के कई साल बिताने हैं..
अपनी गलती ना हो लेकिन क्षमा याचना हेतु हाथ फैलाने हैं..
फ़िर भी बात-बात पे data और Punishment ही पाने हैं..
जानता हूँ ये 'अग्निपथ' है, फिर भी मैं चलने वाला हूँ,
क्योंकि मैं private नौकरी वाला हूँ..
यानी मुझे दो में से एक नहीं, बल्कि दोनों राह चुननी हैं..
ड्यूटी अगर लेट हुयी तो boss चिल्लाते हैं.
गलती चाहे किसी भी की भी हो सजा तो हम ही पाते हैं.
दो नावों पे सवार हूँ, फिर भी सफ़र पूरा करने वाला हूँ..
आसान नहीं है सबको एक साथ खुश रख पाना,
परिवार के साथ वक़्त बिताना, और Office में job बचाना।
परिवार के साथ बमुश्किल कुछ वक़्त ही बिता पाता हूँ,
घर जैसे कोई मुसाफिर खाना हो, वहां तो बस आता और जाता हूँ..
फिर भी हर मोड़ पर मैं अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने वाला हूँ,
क्योंकि मैं private नौकरी वाला हूँ..
Promotion, increment की बात पर, हमें सालो लटकाया जाता है..
हक़ की बात करने पर ठेंगा दिखलाया जाता है..
ये एक लड़ाई है, इसमें सबको साथ लेकर चलने वाला हूँ,
क्योंकि मै private नौकरी वाला हूँ..
देश समाज में सरकारी नौकरों के आरामपरस्त होने का बड़ा बवाल है..
छुट्टी मिली ना घर जा सके, Duty में ही ईद-दिवाली-क्रिसमस मनाने का अजब कमाल है..
टिफ़िन से टिफ़िन जब मिलते हैं, तो एक नया ही ज़ायका बन जाता है..
खुद के बनाये खाने में, और घर के खाने में फ़र्क़ साफ़ नज़र आता है..
मजबूरी ने इतना कुछ सिखाया, आगे भी बहुत कुछ सीखने वाला हूँ..
क्योंकि मैं private नौकरी वाला हूँ..
लोग समझते है कि बड़ा मजा करते है, नौकरी में हम लोग..
सबको मैं बदल नहीं सकता, इसलिए अब ख़ुद को बदलने वाला हूँ..
क्योंकि मैं private नौकरी वाला हूँ..
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