Monday 4 July 2016

दिल चाहता है

तू सच है कोई ख़्वाब नहीं
एक बार, बस एक बार तुम्हें देख कर
इस बेताब दिल को
ये यकीं दिलाने को दिल चाहता है,
तू नसीब नहीं है मेरा, ये दिल जानता है
किसी और के नसीब से तुम्हें
बस कुछ पल चुराने को दिल चाहता है..

तू एक ख़्वाब है, मेरी अन्धेरी ग़मगीन रातों का
इस ख़्वाब को दिन के उजालों में
एक बार रोशन करने को दिल चाहता है,
जानती हूँ मेरी इस चाहत की कोई मंज़िल नहीं
लेकिन रास्ता तो है,
तेरे साथ इस डगर पे
कुछ दूर चलने को दिल चाहता है |

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