Showing posts with label death. Show all posts
Showing posts with label death. Show all posts

Thursday, 2 June 2022

मृत्यु का बदलता पैटर्न

मृत्यु का बदलता पैटर्न !


एक बेहतरीन गायक और शानदार शख्सियत कृष्णकुमार कुन्नाथ 'केके' मात्र 53 वर्ष की आयु में आज अचानक उस वक्त अपने फैंस को स्तब्ध छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए शांत हो गए जब वे कोलकाता के एक लाइव कार्यक्रम में मंच पर परफॉर्म कर रहे थे। अपना सबसे पसंदीदा काम करते हुए यानी गाने गाते हुए उन्होंने आखिरी साँसें ली,एक यही बात सोचकर उनके फैंस जरा सी तसल्ली महसूस कर सकते हैं। केके अपने पीछे परिवार में पत्नी व दो छोटे बच्चे छोड़ गए हैं। सोचता हूँ अन्य सेलेब्रिटीज़ की तरह उन्होंने भी आज हैल्दी ब्रेकफास्ट लिया होगा,दैनिक व्यायाम, योगा या जिम वर्कआउट किया होगा। कुछेक लोगों के साथ व्यावसायिक मीटिंग्स की होंगीं। आज के कार्यक्रम के लिए टिपटॉप तैयार होकर मंच पर पहुंचे होंगे जहाँ उन्हें एक यादगार हाई एनर्जी परफॉर्मेंस देनी थी। उनके शेड्यूल में अगले कुछ महीनों के कार्यक्रम पूर्व निर्धारित रहे होंगे। एक तिरेपन वर्षीय हैंडसम सेलेब्रिटी की जिंदगी शायद इससे भी अधिक व्यस्त रही होगी जितनी मैं सोच पा रहा हूँ।

2 सितंबर,2021 को इसी तरह 40 वर्षीय परफैक्टली फिट नजर आनेवाले अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की हार्ट अटैक से मौत ने भी दर्शकों को चौंका कर रख दिया था। उन्होंने आधी रात को अपनी माँ से सीने में हल्का दर्द होने की शिकायत की और अस्पताल ले जाए जाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था। 

कन्नड़ फिल्मों के सुपरस्टार और जानेमाने समाजसेवी 46 वर्षीय पुनीत राजकुमार की 26 अक्टूबर को बैंगलुरू में अचानक उस समय कार्डियक अरैस्ट के कारण मृत्यु हो गई जब वे प्रतिदिन की भाँति जिम में वर्कआउट कर रहे थे। वे कन्नड़ फैंस के दिलों में इस गहराई तक बसे हुए हैं कि आज उनकी मृत्यु के नौ महीने बाद भी हर गली,हर चौराहे पर गोलगप्पे बेचनेवाले से लेकर बड़े बड़े शोरूम वालों ने भी उनकी श्रद्धांजलि में बड़े-2 पोस्टर लगा रखे हैं।

इन तीनों ही सेलेब्रिटीज़ ने अपने जीवन में हर मुमकिन वह कोशिश की होगी जिससे वे एक लंबा व स्वस्थ, सफल जीवन अपने परिवार के साथ बिता सकें। निस्संदेह ये सभी खानपान के परहेज से लेकर कसरत आदि सभी प्रयासों के द्वारा एक अनुशासित जीवन का पालन करते रहे होंगे। फिर भी किसी को 53,किसी को 46 तो किसी को 40 वर्ष में बहुत भागदौड़ कर कमाई हुई सारी संपत्ति,इतना स्ट्रैस लेकर,तिकड़में भिड़ाकर अर्जित किया हुआ सारा वैभव अचानक ही छोड़कर जाना पड़ा। ऐसा नहीं है कि जीवनभर भागदौड़ करके उन्होंने कोई गलती की। दुख मात्र यह होता है कि ये प्यारे-2 लोग अपनों से यह भी ना कह पाए कि अब चलता हूँ,अपना ख्याल रखना। जाते समय अपने बच्चों को सीने से नहीं लगा पाए,उन्हें आखिरी पप्पियाँ नहीं दे पाए। दो चार दिन बीमार भी नहीं पड़े रहे कि कुछ आभास हो जाता तो माँ,पिता, पत्नी,दोस्तों से आखिरी बार अपने मन की कुछ साध कह लेते। 

कुछ वर्षों पहले तक जब मैनें अपने बुजुर्गों को अंतिम यात्रा पर जाते देखा था,मुझे याद है वे आराम से हमारे सर पर हाथ रखकर हमें असीसते हुए,गीता का सोलहवां अध्याय सुनते हुए शांतिपूर्वक अंतिम सांसें लेते थे। कौन सी करधनी किस नातिन को तो कौन सा गुलूबंद किस बहू को देना है, बहुत संतोषपूर्वक मैनें अपनी दादी को मृत्युशैया पर बताते देखा। गौदान का संकल्प भी होश रहते ले लिया करते थे। आजकल मृत्यु का पैटर्न बदल गया है। अब मृत्यु गीता का सोलहवां अध्याय सुनने सुनाने का सुअवसर नहीं देती। अब बेटे बहू,यार दोस्तों से हँसते बतियाते हुए जाने की साध पूरी होती नहीं देखी जा रही। बहुत से लोग तो इतनी युवावस्था में जा रहे हैं कि बहू,दामाद,नाती,पोतों जैसे सुख और कर्तव्यों का आनंद एक दिवास्वप्न ही रह गया है। 

एक ही आग्रह है। किसी से रूठकर ना बिछड़ें। किसी को रुलाकर ना सोएं। किसी को अपमानित करके बड़प्पन ना महसूस करें। किसी को दबाकर, किसी की स्थिति का फायदा उठाकर मूँछों पर ताव ना दें। हो सकता है जब तक हमें अपनी गलती महसूस हो तब तक वह जिसके प्रति हमसे अपराध हुआ है,अगर इस संसार को अलविदा कह दे तो हम किससे अपने अपराध क्षमा करवाएंगे,किससे माफी मांगेंगे। हम अपना मन उदार रखें। छोटीछोटी बातों को दिल से ना लगाएं। इतने तंगदिल भी ना हो जाएं कि प्रेम के दो बोल भी हमसे सुनने के लिए हमारे संपर्क में आनेवाले तरस जाएं। तनी हुई भृकुटि में तो हमारी अंतिम तस्वींरें भी सुंदर नहीं आएंगीं। 

🙏🏻 सर्वे भवंतु सुखिनः। 🙏🏻

🙏🏻जाने अनजाने में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा🙏🏻

Wednesday, 17 June 2020

परमवीर चक्र मिलना चाहिए सुशांत सिंह राजपूत को


मुंबई में सुशांत सिंह राजपूत ने अपने फ़्लैट में फाँसी लगा कर आत्महत्या कर ली. 

कर ली तो कर ली.

दोस्त लोग कह रहे हैं ...वो कई महीनों से डिप्रेशन से पीड़ित थे. दोस्त लोग कह रहे हैं .. तो सही होगा.

सिर्फ चौंतीस साल की उम्र में अच्छी शिक्षा, अच्छा खान-पान, मौज-मस्ती, मुंबई की चमक-धमक वाला जीवन, गर्लफ्रैंड, पैसा, स्टारडम, जो चाहे वो पाए.

उसके बाद एक संघर्ष शुरू हुआ और फिर तुरंत आत्महत्या क्योंकि यही सबसे आसान है.

जी लिए ... जितना जीना था, और चले गए.

एक झटके में सब कुछ छोड़ कर. 
कई सपनों को तोड़कर.
कई उम्मीदों को ठोकर मारकर.
जी हाँ  .... सब कुछ ख़त्म कर दिया

सुशांत ने कुछ भी नहीं छोड़ा.

लेकिन ऐसा नहीं है. अभी कुछ बचा है.

आइये ..!! पटना चलते हैं, जहाँ उनके पिता जी रहते हैं.
जिन्होंने जीवन भर संघर्ष किया जीने के लिए, परिवार के लिए बच्चों के लिए. बच्चों के सपनों के लिए, अपने स्वाभिमान के लिए, अपने गर्व के लिए, लेकिन ....
कभी आत्महत्या करने को नहीं सोची.

उन्होंने अपने बेटे को खूब अच्छे से पाला-पोसा ~ बढ़िया शिक्षा दी, इंजीयरिंग कराया, लेकिन नौकरी के लिए बाध्य नहीं किया. बेटे को हीरो बनना था, साथ खड़े हो गए.

क्योंकि सुशांत से बड़े उनके पिता के सपने थे.
जीवन भर साथ निभाने का वादा करके आयी पत्नी ने भी साथ छोड़ दिया. उस बूढ़े बाप ने धीरे-धीरे अपनी बेटियों की शादी कर दी. एक बेटी ने भी साथ छोड़ दिया, लेकिन वो टूटा नहीं ,संघर्ष करता रहा. अपने संघर्षों के बावजूद, वो जी रहा है.

बीवी साथ नहीं थी, लेकिन वो जी रहा है. एक बेटी ने साथ छोड़ दिया, लेकिन वो जी रहा है, क्योंकि उसकी आँखों में एक सपना था। बेटे को कामयाब होते देखने का सपना.

संघर्षों से सदा लड़ा वो बाप, उसे पैसे की चाह नहीं थी.  उसका धन उसका बेटा था.
उसका सपना उसका बेटा था.
उसका गर्व उसका बेटा था.
उसका स्वाभिमान उसका बेटा था.
उसका मनोबल उसका बेटा था.
उसके लिए जीने का मतलब ही उसका बेटा था. 

आज बेटे ने ही जीवन से हार मान ली, और ये भी नहीं सोचा उसने, उन एक जोड़ी बूढ़ी आँखों का क्या होगा ?
जिसने बेटे के सपनों के लिए अपने सारे सपने तोड़ डाले.

वो गर्व, वो स्वाभिमान, वो मनोबल वो सपना, वो धन, वो उम्मीदें..सब एक झटके में खत्म हो गया.

मैं यही सोच रहा हूँ, कि
वास्तव में मरा कौन ? 
सुशांत या उनके पिता.

Thursday, 9 April 2020

हमारे बीच अब नहीं रहे रामायण में सुग्रीव और बाली का किरदार निभाने वाले श्याम सुंदर कलानी


रामानंद सागर की रामायण सीरियल में सुग्रीव और बाली का रोल निभाने वाले कलाकार श्याम सुंदर कलानी का निधन हो गया है। रामायण धारावाहिक में राम बने अरुण गोविल ने उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि दी है। अरुण गोविल ने ट्विटर पर शोक संदेश में लिखा – मिस्टर श्याम सुंदर के निधन की ख़बर सुनकर दुखी हूं। उन्होंने रामानंद सागर की रामायण में सुग्रीव का किरदार निभाया था। बहुत अच्छी शख़्सियत और सज्जन व्यक्ति। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।

डीडी नेशनल चैनल पर इस समय फिर से रामायण का प्रसारण शुरू हुआ है, जिसके चलते सभी किरदार और कलाकार एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। रामायण में सुग्रीव की भूमिका भगवान राम के वनवास के दौरान सामने आती है। राम पहले बाली का वध करके सुग्रीव की मदद करते हैं। वानर राज सुग्रीव राम-रावण युद्ध में अहम भूमिका निभाते हैं। सुग्रीव और राम की मुलाक़ात हनुमान ने करवाई थी। राम ने सुग्रीव को अपने मित्र का दर्ज़ा दिया था।

रामानंद सागर की रामायण में ऐसे कई किरदार हैं, जिन्होंने छोटी-छोटी भूमिकाएं निभाईं और अपने किरदारों के लिए मशहूर हुए। 80 के आख़िरी सालों में प्रसारित हुई रामायण ने टीवी की दुनिया में लोकप्रियता का एक नया आयाम दिया। इस पौराणिक धारावाहिक की लोकप्रियता का नतीजा है कि कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के दौरान इसे दूरदर्शन पर फिर से प्रसारित करने का निर्णय लिया है।

रामायण में राम का किरदार अरुण गोविल, लक्ष्मण का किरदार सुनील लहरी, सीता का दीपिका चिखलिया, हनुमान का दारा सिंह और रावण का किरदार अरविंद त्रिवेदी ने निभाया था। पुन: प्रसारण में भी रामायण ने लोकप्रियता का कीर्तिमान बनाया और साल 2015 से अब तक प्रसारित हुए किसी भी शो से अधिक टीआरपी बटोरी।

Source: https://kanvkanv.com/