Friday 6 July 2018

एक नामुमकिन सा ख्वाब हो तुम

उसको है सताने की आदत, अब मुझे सताना है नामुमकिन..
उसको है समझना फिर आसां, मुझको है समझना नामुमकिन..

मैं हँस के उसे सुन लेता हूँ, वो जब भी मुझसे कहती है..
दुनिया के हैं मुझको काम कई और मेरा आना है नामुमकिन..

वो इश्क़ की बातें करती है, आसार नहीं हैं कुछ अच्छे..
ये काम वफ़ा का मुश्किल है, उससे है ये होना नामुमकिन..

आते हैं तो उनको आने दो, बेकार सवालों को छोड़ो..
जब उसके लिए सब मुमकिन है, क्यूँ उसने बनाया नामुमकिन..

सब वहमों गुमां की बातें हैं, बस एक तसव्वुर है मंज़िल..
हम उसको ही पाने निकले हैं, वो जिसका है पाना नामुमकिन..

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