आम और लीची में
आते हैं जब मंजर
नानाजी आप बहुत याद आते हैं।
डब्बे वाले घी में नहीं रहती वो मिठास
आप बहुत याद आते हैं।
नानी के झुर्रिदार चेहरे को देखकर
आप बहुत याद आते हैं।
जब लिखने पर मिलती है शाबाशी
आप बहुत याद आते हैं।
जब जाता हूं स्कूलों में
बच्चों को सुनाता हूं कहानी
आप बहुत याद आते हैं।
जब होता हूं कमजोर
आप बहुत याद आते हैं।
जब मां बाबूजी की करनी होती है शिकायत
आप बहुत याद आते हैं।
जब विदा होने की तैयारी कर रहे थे आप
सुना रहा था मैं अखबार
खबर सुनाते हुए बहुत याद आते हैं आप
आप सपनों में आते हैं,
जैसे किसी के बिमार पड़ जाने पर
आप संभाल लेते थे मोर्चा
आप रहेंगे हमारे साथ
जोड़ में, घटाव में
मेरे लिखे शब्दों में
आप हर साल आयेंगे
आम के मंजर में
लीची की खुशबु में।
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