एक व्यंग कथा आटा और डाटा
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शहर के बाजार में, एक दिन अजब नजारा देखा... !
सड़क के एक ओर, एक बोर्ड लगा था, "20 किलो आटा फ्री”!
सड़क के दूसरी ओर, दूसरा बोर्ड लगा था, “20 जी बी डाटा फ्री”!
आटा वाली लाइन पर पसरा था सन्नाटा !
डाटा वाली लाइन पर था भीड़ का झन्नाटा !
आटे की दुकान सूनी पड़ी थी !
डाटे की दुकान भीड़ से ठसी थी !
हर शक्ल सूरत के, हर परिधान, हर वेशभूषा के लोग,
बस फ्री डाटा पाने की होड़ में पडे़ थे !
खुब गुत्थमगुत्था मची थी, हाथापाई की नौबत आन पड़ी थी!
कुछ दिव्यांग, कुछ अपंग , कुछ जीर्ण-शीर्ण वस्त्र धारण किए हुए ,
तो कुछ मध्यम वर्गीय, लालची, लालच की लार टपकाते हुए,
तो कुछ सक्षम, समृद्ध, संपन्न, संभ्रांत लोग,
बस मुफ्त डाटा पाने के जद्दोजहद में फंसे थे!
नजारा देखकर दिमाग चकराया !
एक फटे पुराने कपड़े पहने हुए , भिखारी जैसे दिखने वाले,
इंसान से बात करने का साहस जुटा पाया!
मैंने उससे पूछा “भाई उधर आटा मिल रहा है , वह भी 20 किलो! ले लो,
कम से कम 20 दिनों का काम तो चल ही जाएगा,
यहाँ से डाटा लेकर तुम क्या करोगे ?”
उसने मुझे ऊपर से नीचे तक निहारा,
मेरे चाल-चलन चरित्र, सबको अपने दिमाग में उतारा,
कुछ झल्लाया, कुछ झुंझलाया, कुछ चिल्लाया, और मुझे ये बतलाया...
“ साहब आपको मालूम नहीं है, ना जाने कौन सी दुनिया में रहते हो,
मेरे मोबाइल में एक ‘दान-दक्षिणा ऐप’ है,
शहर में कहीं भी मुफ्त भंडारा लगा हो,
किसी भी मंदिर में खाना बना रहा हो,
कोई सेठ कंबल बांट रहा हो,
किसी मंदिर के बाहर या कहीं भी कुछ दान दक्षिणा का प्रोग्राम चल रहा हो ,
सब की लाइव जानकारी मेरे मोबाइल में आ जाती है ,
बस इतना करना होता है कि सटीक जानकारी के तहत,
उस जगह की लोकेशन मोबाइल में फीड करके वहां पहुंच जाते हैं,
और जो भी बंट रहा होता है, वह ग्रहण करते हैं ...
अब आप बताइए 20 किलो आटा तो 20-25 दिन चलेगा,
जबकि 20 जी बी डाटा से मेरा 40-50 दिन का काम चल जाएगा।“
मैं किंकर्तव्यविमूढ़, हैरान, परेशान, इस उलझन में पड़ा था,
इस परेशानी से जूझ रहा था कि
मैं आटा वाले लाइन में खड़ा हूं ,
कि डाटा वाली लाइन में!
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देश बदल रहा है साहब,
आप मानो या ना मानो ....