Monday, 27 August 2018

आटा और डाटा की कश्मकश

एक व्यंग कथा आटा और डाटा
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शहर के बाजार में, एक दिन अजब नजारा देखा... !

सड़क के एक ओर, एक बोर्ड लगा था, "20 किलो आटा फ्री”!
सड़क के दूसरी ओर, दूसरा बोर्ड लगा था, “20 जी बी डाटा फ्री”!

आटा वाली लाइन पर पसरा था सन्नाटा !
डाटा वाली लाइन पर था भीड़ का झन्नाटा !

आटे की दुकान सूनी पड़ी थी !
डाटे की दुकान भीड़ से ठसी थी !

हर शक्ल सूरत के, हर परिधान, हर वेशभूषा के लोग,
बस फ्री डाटा पाने की होड़ में पडे़ थे !

खुब गुत्थमगुत्था मची थी, हाथापाई की नौबत आन पड़ी थी!
कुछ दिव्यांग, कुछ अपंग , कुछ जीर्ण-शीर्ण वस्त्र धारण किए हुए ,

तो कुछ मध्यम वर्गीय, लालची, लालच की लार टपकाते हुए,
तो कुछ सक्षम, समृद्ध, संपन्न,  संभ्रांत लोग,

बस मुफ्त डाटा पाने के जद्दोजहद में फंसे थे!
नजारा देखकर दिमाग चकराया !

एक फटे पुराने कपड़े पहने हुए , भिखारी जैसे दिखने वाले,
इंसान से बात करने का साहस जुटा पाया!

मैंने उससे पूछा “भाई उधर आटा मिल रहा है , वह भी 20 किलो! ले लो,
कम से कम 20 दिनों का काम तो चल ही जाएगा,
यहाँ से डाटा लेकर तुम क्या करोगे ?”

उसने मुझे ऊपर से नीचे तक निहारा,
मेरे चाल-चलन चरित्र, सबको अपने दिमाग में उतारा,

कुछ झल्लाया, कुछ झुंझलाया, कुछ चिल्लाया, और मुझे ये बतलाया...
“ साहब आपको मालूम नहीं है, ना जाने कौन सी दुनिया में रहते हो,

मेरे मोबाइल में एक ‘दान-दक्षिणा ऐप’ है,
शहर में कहीं भी मुफ्त भंडारा लगा हो,

किसी भी मंदिर में खाना बना रहा हो,
कोई सेठ कंबल बांट रहा हो,

किसी मंदिर के बाहर या कहीं भी कुछ दान दक्षिणा का प्रोग्राम चल रहा हो ,
सब की लाइव जानकारी मेरे मोबाइल में आ जाती है ,

बस इतना करना होता है कि सटीक जानकारी के तहत,
उस जगह की लोकेशन मोबाइल में फीड करके वहां पहुंच जाते हैं,

और जो भी बंट रहा होता है, वह ग्रहण करते हैं ...

अब आप बताइए 20 किलो आटा तो 20-25 दिन चलेगा,
जबकि 20 जी बी डाटा से मेरा 40-50 दिन का काम चल जाएगा।“

मैं किंकर्तव्यविमूढ़, हैरान, परेशान, इस उलझन में पड़ा था,
इस परेशानी से जूझ रहा था कि

मैं आटा वाले लाइन में खड़ा हूं ,
कि डाटा वाली लाइन में!
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देश बदल रहा है साहब,
आप मानो या ना मानो ....

Wednesday, 22 August 2018

चाहे गीता पढ़िए, या पढ़िए क़ुरान.. तेरा मेरा प्यार ही, हर पुस्तक का ज्ञान..

चाहे गीता पढ़िए, या पढ़िए क़ुरान..
तेरा मेरा प्यार ही, हर पुस्तक का ज्ञान..

ईद मुबारक

May Allah accept your good deeds, forgive your sins & ease your suffering. May this Eid-al-adha, the almighty shower his blessings on each one of us.

Thursday, 16 August 2018

मौत से ठन गई (श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी)

जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?

तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।

मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।

बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।

प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।

आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है।

पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई।

मौत से ठन गई।

मौत से ठन गई (श्री अटल बिहारी जी)

जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?

तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।

मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।

बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।

प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।

आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है।

पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई।

मौत से ठन गई।