Tuesday, 6 June 2017

सारी बस्ती में ये जादू नज़र आए मुझको

सारी बस्ती में ये जादू नज़र आए मुझको
जो दरीचा भी खुले तू नज़र आए मुझको

सदियों का रत जगा मेरी रातों में आ गया
मैं एक हसीन शख्स की बातों में आ गया

जब तस्सवुर मेरा चुपके से तुझे छू आए
देर तक अपने बदन से तेरी खुशबू आए

गुस्ताख हवाओं की शिकायत न किया कर
उड़ जाए दुपट्टा तो खनक औढ लिया  कर

तुम पूछो और में न बताउ ऐसे तो हालात नहीं
एक ज़रा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं

रात के सन्नाटे में हमने क्या-क्या धोके खाए है
अपना ही जब दिल धड़का तो हम समझे वो आए है

क़तील शिफ़ाई

No comments:

Post a Comment